Book Title: Samvayang Sutram
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
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________________ श्रीसमवाया श्रीअभय० वृत्तियुतम् // 269 // सूत्रम् 159 एरावतादिः पढमसिस्सणीओ भविस्संति चउव्वीसं पढमभिक्खादायगा भविस्संति चउव्वीसं चेइयरुक्खा भविस्संति, जंबुद्दीवेणंदीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए बारस चक्कवट्टिणो भविस्संति, तंजहा- भरहे यदीहदंते गूढदंते य सुद्धदंते य / सिरिउत्ते सिरिभूई सिरिसोमे यसत्तमे॥८१॥पउमे य महापउमे विमलवाहणे (लेतह) विपुलवाहणे चेव। वरिटेबारसमे वुत्ते आगमिसा भरहाहिवा॥ ८२॥एएसिणं बारसण्हं चक्कवट्टीणं बारस पियरो भविस्संति, बारस मायरो भविस्संति, बारस इत्थीरयणा भविस्संति, जंबुद्दीवेणं दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए नव बलदेववासुदेवपियरो भविस्संति, नववासुदेवमायरो भविस्संति, नव बलदेवमायरो भविस्संति, नव दसारमंडला भविस्संति, तंजहा- उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसी एवं सो चेव वण्णओ भाणियबोजाव नीलगपीतगवसणा दुवे दुवे रामकेसवा भायरो भविस्संति, तंजहा- नंदे य नंदमित्ते दीहबाहूतहा महाबाहू। अइबले महाबले बलभद्दे य सत्तमे / / ८३॥दुविठ्ठय तिविठ्ठय आगमिस्साण वण्हिणो।जयंते विजए भद्दे सुप्पभे य सुदंसणे। आणंदे नंदणे पउमे, संकरिसणे य अपच्छिमे॥८४॥ एएसिणं नवण्हं बलदेववासुदेवाणं पुव्वभवियाणवनामधेजा भविस्संति, नव धम्मायरिया भविस्संति, नव नियाणभूमीओ भविस्संति, नव नियाणकारणा भविस्संति, नव पडिसत्तू भविस्संति, तंजहा-तिलए य लोहजंघे, वइरजंघे य केसरी पहराए। अपराइए य भीमे, महाभीमे य सुग्गीवे॥८५॥ एए खलु पडिसत्तू कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं। सव्वेवि चक्कजोही हम्मिहिंति सचक्केहिं॥८६॥जंबुद्दीवे एरवए वासे आगमिस्साए उस्सपिणीए चउव्वीसं तित्थकरा भविस्संति, तंजहासुमंगले असिद्धत्थे, णिव्वाणे य महाजसे। धम्मज्झए य अरहा, आगमिस्साण होक्खई॥८७॥ सिरिचंदे पुष्फकेऊ, महाचंदे य केवली। सुयसागरे य अरहा, आगमिस्साण होक्खई॥८८॥ सिद्धत्थे पुण्णघोसे य, महाघोसे य केवली। सच्चसेणे य अरहा, आगमिस्साण होक्खई // 89 // सूरसेणे य अरहा, महासेणे य केवली। सव्वाणंदे य अरहा, देवउत्ते य होक्खई // 90 // सुपासे 8 // 269 //

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