Book Title: Samvayang Sutram
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

View full book text
Previous | Next

Page 288
________________ सूत्रम् 151 एरावतादिः श्रीसमवायात्रा श्रीअभय वृत्तियुतम् // 268 // इसिदिण्णं ववहारिवंदिमोसोमचंदंच॥६६॥वंदामि जुत्तिसेणं अजियसेणं तहेव सिवसेणं।बुद्धंच देवसम्मंसययं निक्खित्तसत्थंच ॥६७॥असंजलं जिणवसहं वंदे य अणंतयं अमियणाणिं / उवसंतं च धुयरयं वंदे खलु गुत्तिसेणं च // 68 // अतिपासंच सुपासं देवेसरवंदियं च मरुदेवं / निव्वाणगयं च घरं खीणदुहं सामकोट्टं च // 69 // जियरागमग्गिसेणं वंदे खीणरायमग्गिउत्तं च। वोक्कसियपिज्जदोसं वारिसेणं गयं सिद्धिं ॥७०॥जंबूद्दीवे० आगमिस्साए उस्सप्पिणीए भारहे वासे सत्त कुलगरा भविस्संति, तंजहामियवाहणे सुभूमे य, सुप्पभे य सयंपभे / दत्ते सुहुमे सुबन्धूय, आगमिस्साण होक्खति // 71 // जंबुद्दीवेणं दीवे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए एरवए वासे दस कुलगरा भविस्संति, तंजहा-विमलवाहणे सीमंकरे सीमंधरेखेमंकरे खेमंधरे दढधणू दसधणू सयधणू पडिसूई सुमइत्ति जंबुद्दीवेणंदीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए चउवीसं तित्थगरा भविस्संति, तंजहा- महापउमे सूरदेवे, सुपासे य सयंपभे। सव्वाणुभूई अरहा, देवस्सुए य होक्खई॥७२॥ उदए पेढालपुत्ते य, पोट्टिले सत्तकित्ति य।मुणिसुव्वए य अरहा, सव्वभावविऊ जिणे॥७३ / / अममे णिक्कसाए य, निप्पुलाए य निम्ममे। चित्तउत्ते समाही य, आगमिस्सेण होक्खई॥७४॥संवरे अणियट्टी य, विजए विमलेति य / देवोववाए अरहा, अणंतविजए इय / / 75 / / एए वुत्ता चउव्वीसं भरहे वासम्मि केवली। आगमिस्सेण होक्खंति, धम्मतित्थस्स देसगा॥७६॥एएसिणंचउव्वीसाए तित्थकराणंपुव्वभविया चउव्वीसनामधेजाभविस्संति, तंजहा-सेणिय सुपास उदए पोट्टिल्ल अणगार तह दढाऊ य / कत्तिय संखे य तहा नंद सुनंदे यसतए य॥७७॥ बोद्धव्वा देवई य सच्चइ तह वासुदेव बलदेवे। रोहिणि सुलसाचेव तत्तो खलु रेवई चेव // 78 // ततो हवइ सयाली बोद्धव्वे खलु तहा भयालीय। दीवायणे य कण्हे तत्तोखलु नारए चेव॥७९॥अंबड दारुमडेय साई बुद्धेय होइ बोद्धव्वे।भावी तित्थगराणंणामाई पुव्वभवियाई॥८॥ एएसिणंचउव्वीसाएतित्थगराणंचउव्वीसं पियरो भविस्संति चउव्वीसंमायरोभविस्संति चउव्वीसं पढमसीसा भविस्संति चउव्वीसं // 268 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300