Book Title: Samvayang Sutram
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 287
________________ सूत्रम् 158 श्रीसमवाया श्रीअभय० वृत्तियुतम् // 267 // वक्तव्यतादिः सव्वोउयसुरभिकुसुमरचितपलंबसोभंतकंतविकसंतविचित्तवरमालरइयवच्छा अट्ठसयविभत्तलक्खणपसत्थसुंदरविरइयंगमंगा मत्तगयवरिंदललियविक्कमविलासियगई सारयनवथणियमहुरगंभीरकुंचनिग्घोसदुंदुभिसरा कडिसुत्तगनीलपीयकोसेज्जवाससा पवरदित्ततेया नरसीहा नरवई नरिंदा नरवसहा मरुयवसभकप्पा अब्भहियं रायतेयलच्छीए दिप्पमाणा नीलगपीयगवसणा दुवे दुवे रामकेसवा भायरो होत्था, तंजहा-तिविठ्ठजाव कण्हे अयले जाव रामे यावि अपच्छिमे॥५३॥ एएसिणंणवण्हंबलदेववासुदेवाणं पुव्वभविया नव नामधेजा होत्था, तंजहा- विस्सभूई पव्वयए धणदत्त समुद्ददत्त इसिवाले। पियमित्त ललियमित्ते पुणव्वसूगंगदत्ते य॥५४॥एयाइं नामाइंपुवभवे आसि वासुदेवाणं / एत्तो बलदेवाणं जहक्कम कित्तइस्सामि॥५५॥ विसनंदी य सुबन्धूसागरदत्ते असोगललिए य।वाराह धम्मसेणे अपराइय रायललिए य॥५६॥एएसिं नवण्हं बलदेववासुदेवाणं पुव्वभविया नव धम्मायरिया होत्था, तंजहा- संभूय सुभद्द सुदंसणे य सेयंस कण्ह गंगदत्ते य सागरसमुद्दनामे दुमसेणे य णवमए // 57 // एए धम्मायरिया कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणंपुव्वभवे एआसिंजत्थ नियाणाइंकासीय॥५८॥ एएसिं नवण्हं वासुदेवाणं पुव्वभवे नव नियाणभूमिओ होत्था, तंजहा- महुरा य० हत्थिणाउरं च // 59 // एतेसिणं नवण्हं वासुदेवाणं नव नियाणकारणा होत्था, तंजहा- गावी जुवे० जाव माउआ॥६०॥ एएसिंनवण्हं वासुदेवाणं नव पडिसत्तू होत्था, तंजहा- अस्सग्गीवे जाव जरासंधे।।६१॥एए खलु पडिसत्तू जावसचक्केहि ॥६२॥एकोयसत्तमीएपंच यछट्ठीऍपंचमी एक्को। एक्को यचउत्थीए कण्होपुण तच्चपुढवीए॥६३॥अणिदाणकडा रामा (सव्वेविय केसवा नियाणकडा। उड्डंगामी रामा केसव सव्वे अहोगामी॥६४॥) अटुंतकडा रामा एगोपुण बंभलोयकप्पंमि। एक्कस्स गब्भवसही सिज्झिस्सइ आगमिस्सेणं ॥६५॥॥सूत्रम् 158 // जंबूद्दीवे. एरवए वासे इमीसे ओसप्पिणीए चउव्वीसं तित्थयरा होत्था, तंजहा-चंदाणणं सुचंदं अग्गीसेणं च नंदिसेणं च / // 267 //

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