Book Title: Samvayang Sutram
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
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________________ श्रीसमवाया श्रीअभय० वृत्तियुतम् // 239 // सूत्रम् 150 भवनादिवर्णनम् एगंजोयणसहस्सं ओगाहेत्ता हेट्ठाचेगंजोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे अट्ठहत्तरिजोयणसयसहस्से एत्थणंरयणप्पभाए पुढवीएचउसटिं असुरकुमारावाससयसहस्सा प०, तेणंभवणा बाहिं वट्टा अंतोचउरंसा अहे पोक्खरकण्णिआसंठाणसंठिया उक्किण्णंतरविउलगंभीरखायफलिहा अट्टालयचरियदारगोउरकवाडतोरणपडिदुवारेदसभागाजंतमुसलमुसंढिसयग्घिपरिवारिया अउज्झा अडयालकोट्टरइया अडयालकयवणमाला लाउल्लोइयमहिया गोसीससरसरत्तचंदणदद्दरदिण्णपंचंगुलितला कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कडझंतधूवमघमर्चेतगंधुद्धयाभिरामा सुगंधिया गंधवट्टिभूया अच्छा सण्हा लण्हा घट्ठा मट्ठा नीरया णिम्मला वितिमिरा विसुद्धा सप्पभा समिरीया सउज्जोआपासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, एवं जंजस्स कमतीतंतस्सजंजंगाहाहि भणियंतह चेव वण्णओ। केवइया णं भंते! पुढविकाइयावासा प०?, गोयमा! असंखेज्जा पुढवीकाइयावासा प०, एवं जाव मणुस्सत्ति, केवइया णं भंते! वाणमंतरावासा प०?, गोयमा इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सबाहल्लस्स उवरि एगंजोयणसयं ओगाहेत्ता हेट्ठा चेगंजोयणसयं वजेत्ता मज्झे अट्ठसुजोयणसएसु एत्थ णं वाणमंतराणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा भोमेज्जा नगरावाससयसहस्सा प०, ते णं भोमेज्जा नगरा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा, एवं जहा भवणवासीणं तहेवणेयव्वा, णवरंपडागमालाउला सुरम्मा पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा // केवइया णं भंते! जोइसियाणं विमाणावासा प०?, गोयमा! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ सत्तनउयाइं जोयणसयाई उई उप्पइत्ता एत्थ णं दसुत्तरजोयणसयबाहल्ले तिरियंजोइसविसए जोइसियाणंदेवाणं असंखेजाजोइसियविमाणावासा प० तेणंजोइसियविमाणावासा अब्भुग्गयमूसियपहसिया विविहरमणिरयणभत्तिचित्ता वाउछ्यविजयवेजयंतीपडागछत्ताइछत्तकलिया तुंगा गगणतलमणुलिहंतसिहरा जालंतररयणपञ्जरुम्मिलियव्व मणिकणगथूभियागा वियसियसयपत्तपुण्डरीयतिलयरयणद्धचंदचित्ता अंतो बाहिं च सहा तवणिज्जवालुआपत्थडा 388888888888888888888888888 // 239 //

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