Book Title: Rushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Author(s): Priyadarshanashreeji
Publisher: Mahavir Prakashan

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Page 20
________________ egescegessegeskgesdesestage 6) चली आ रही है। - भगवान ऋषभदेव के ही पुत्र महाबली बाहुबली भी राज्य लिप्सा त्याग करके एक ही स्थान पर एक वर्ष तक अडोल अकंप स्थिर आसन से खड़े रहे। शरीर पर माधवी लता छा गई। बाहुबली मुनि के विशाल व सुदृढ़ स्कन्धों पर पक्षियों ने घोंसले बना दिये। र फिर भी वे दृढ़ संकल्पी साधक उसी ध्यान मुद्रा में खड़े रहे। और श्रवण बेलगोला में स्थित 57 फुट ऊँची बाहुबली की / विशाल मूर्ति, जिस पर एक पक्षी तक नहीं बैठता, हमें बार-बार / उस महासाधक की स्मृति दिलाती है। - इसके बाद कितनों ने एक वर्ष का कठोर तप किया होगा। 2) उन सभी की नामावली तो अतीत के गर्भ में सुरक्षित है। शेष 22 तीर्थंकरों के काल में उत्कृष्ट तप आठ मास का ही बताया गया / शासनपिता श्रमण भगवान महावीर के शासनकाल में छमासी उत्कृष्ट तपस्या का विधान है। निरन्तर शक्ति, धृति, 5) समता, क्षमा का हास हो जाने से एक वर्ष तक निराहारी रह पाना 1) अशक्य है। फिर भी अपनी शक्ति के अनुसार इसं तप को स्वीकार करके भक्तगण सैकड़ों की संख्या में प्रतिवर्ष प्रभु चरणों में वर्षीतप के पुष्प अर्पित करते हैं। आज ऐसे भी साधक हैं, जिन्होंने आजीवन र एकान्तर तपस्या करने का संकल्प लिया हुआ है। 'ऋषभ चरित्र' लिखने की मंगलमयी प्रेरणा मुझे ऐसे महान 6 तपस्वियों को देखकर प्राप्त हुई। ऐसे दीर्घ तपस्वी जैन समाज में Pan सैकड़ों की संख्या में हैं, उन सभी महान तपस्वियों का हृदय की ॐ अनंत गहराईयों से अभिनन्दन करते हुए शासन माता से प्रार्थना म करती हूँ, उनकी तपस्या का तेज उन्हें परम ज्योति में विलीन e les sessionstigestivitate लगवियान MATI

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