Book Title: Rushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Author(s): Priyadarshanashreeji
Publisher: Mahavir Prakashan

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Page 90
________________ - G muesit sestuestesti yetu श्री ऋषभदेव स्तुति ऋषभदेव स्वामी तुम हो अन्तर्यामी, वनिता नगरी के तुम हो राया राया राया।।टेर।। माता तुम्हारी मोरा देवी, नाभिजी के नन्दन तुम जाया जाया जाया / / 1 / / Geegesdeegee साँझ सवेरे दुन्दुभी बाजे, इन्द्र मिली ने यश गाया गाया गाया।।2।। అఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅల उठ सवेरे करूँ नित वन्दना, करजोड़ी ने लागूं पाया पाया पाया / / 3 / / तन मन लाऊँ शीश निवाऊँ दुखड़े निवारी सुख पाया पाया पाया / / 4 / / ageskages.GLAGescegesdeeds दान शीयल-तप भावना भावो, कर्म खपाए मुक्ति पाया पाया पाया।। 5 / / 卐

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