Book Title: Rushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Author(s): Priyadarshanashreeji
Publisher: Mahavir Prakashan

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Page 113
________________ Lees vestesteuertes / श्री।। . ॥ॐ आदिनाथाय नमः।। | आनंदतीर्थ।। 3 toestetikostot மழைகை गुरु आनंद फौंडेशन (1008 सामुहिक वर्षीतप आराधना महा महोत्सव __ वर्षीतप प्रारंभ दिनांक 24 मार्च 2014 महोदय, ज्ञान के महोदघि, शान्ति और समाधि के शिरोमणि, रत्नमय के ॐ आराधक,जन-जन के आस्था के पूजक, भक्तों के मनमंदिर के देवता, चैतन्यस्वरूप, ज्ञानस्वरूप जिनका दीक्षा शताब्दि चल रहा है, ऐसे आचार्य h) भगवंत आनंदऋषिजी म.सा.। इस शताब्दि वर्ष क सहस्त्र पंखुड़ियों से, आत्मा के हर प्रदेश से, सुरभिमय बनाने के उत्साह में उत्साहित पूज्य प्रवर उपाध्याय रत्न प्रवीणऋषिजी म.सा. के मनमानस में एक सुंदर सी . परिकल्पना जाग उठी कि, इस दीक्षा शताब्दि वर्ष में 1008 वर्षीतप" झेलने हैं। .. 5. परिकल्पना बहुत सुंदर है क्योंकि तप से आत्मा का दिव्य प्रकाश प्रखरित होता है। 'तपसा निर्जरा' के तप से ही कर्मों की निर्जरा होती है। र तप से ही आत्मा का सौंदर्य खिल उठता है। / भौतिक जगत के चकाचौंध में, हम खान-पान में, साज-श्रृंगार VR में, राग-रंग में चटकीली-भटकीली जीवनशैली में भ्रमित हो गये हैं। अतः आओ . इस मनमंदिर में ध्यान का दीप जलाओ। मन को तृष्णा के भंवरजाल से छुड़ाओ।। जीवन को वासना के तुफान से बचालो। अध्यात्म की किरणों को विकसाओ / / अहिंसा और सत्य का सूरज उगवाओ। आत्मा के अनाहरक गुण को प्रकटाओ / / तप तेज के पुंज से आत्मतेज विकसाओ।। oestiese toestand

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