Book Title: Rushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Author(s): Priyadarshanashreeji
Publisher: Mahavir Prakashan

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Page 93
________________ estestuestestuestos __ मिलती उन्हीं को मुक्ति, सुख मन भावना...प्रभु...115 / / तप है समुज्जवल ज्योति जीवन जगाओ सब / तप के मोती-हीरों से जीवन सजाओ सब। तप की है महिमा भारी, पूर्ण कही जाए ना..प्रभु।।6।। . धन्य तप धन्य तपस्वी ऋषि मुनि गण है। तप साधनामय जिनके जीवन के क्षण है। शत-शत वन्दन हो उनको "मंजुल'' भावना प्रभु...1171 आदेश्वर बाबा (तर्ज-प्रभाती...) देखो रे आदेश्वर बाबा, कैसा ध्यान लगाया है। GeegesexwerGLAGeet कैसा ध्यान जगाया रे बाबा, कैसा मन समझाया है।। नाभिराय के पुत्र कहीजे, मां मरुदेवी जाया है। ____कर उपर कर अधिक विराजे, आसन घिर ठहराया है।।1।। र .. केवल ज्ञान उपाय जिनेश्वर, शिव रमणी को ध्याया है, सुर नर जिसकी मस्ति करता है। जिनवर सूं लिव लाया है।।2।। सेवा किया मिले सुख संपत सब जीवन सुख पाया है, देवी देव मिले बहुतेरे भविजन मंगल गाया है। तीन लोक में महिमा प्रभु की, चन्द्रकुशल गुण गाया है।। 3||

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