Book Title: Rushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Author(s): Priyadarshanashreeji
Publisher: Mahavir Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 104
________________ Gustageskargestergestigestages (वर्षीतप अभिनंदन (तर्ज- होठों से छूलो ....) आओ हम आज करें, वर्षीतप का अभिनंदन। तप ज्वाला में तपकर, काया बनती कुंदन।।धुव।। वर्षीतप करना तो, आसान नहीं कोई-२ तपधारा में बहता इंसान कोई -2 तन-मन की मजबूती से, सोभे तप का, आसन...|| Proteggere gegee शिवपुर के पथ में तो, तप बहुत जरूरी है, अध्यात्म-साधना भी, तप बिना अधूरी है, वर्षीतप से कटते हैं, जन्मों के अघ बंधन....|| दुस्तर महासागर की, तप से तिर सकते हैं, हो दुष्कर कार्य भले, तप से कर सकते हैं, प्रभु आदिनाथ के चरणों में, भक्ति भावों से वंदन...|| கை

Loading...

Page Navigation
1 ... 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116