Book Title: Rushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Author(s): Priyadarshanashreeji
Publisher: Mahavir Prakashan
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________________ ऋषभदेव की आरती जै जै ऋषभप्रभु स्वामी, जै जै ऋषभ प्रभो, निशदिन ध्यान धरूँ,दीजै दर्श विभो, ओऽम जय जय ऋषभ प्रभो।।टेर || .. ARATHISRON शरणागत जो तेरी, आवे सुख पावे, धन वैभव उसके घर,अनायास आवे...||१|| जितने देव सभी हैं, कर्मन के मारे, तुम हो कर्म विजेता, भक्तन रखवारे...||२|| taget gestiegestygetoetstoeroes चार तीर्थ संस्थापक, आदि के कर्ता, ब्रह्मज्ञान के धारक, जन्म-मरण हर्ता...||३|| जो कोई तुमको ध्यावे, वांछित फल पावे, रोग शोक मिट जावे, कंचन तन पावे...|४|| 'मोहन' महिमा गावे, पार नहीं पावे, 'सोहन' शरण तिहारी,सुख सम्पत्ति पावे...||५|| RAT
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