Book Title: Rushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Author(s): Priyadarshanashreeji
Publisher: Mahavir Prakashan

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Page 64
________________ 5) समक्ष प्रगट हुए और उन्हें प्रणाम करते हुए बोले"आपका संकल्प मंगलमय है प्रभो! आपका वैश्विक दायित्व र पूर्ण हो चुका है। अब आप धर्म तीर्थ का प्रवर्तन करके 1) मनुष्य के कल्याण का पर अमरमार्ग प्रशस्त कीजिए।" - Mastik..JBAR. HTRA PPPPPPPPS GiLAGeeteossesGemstoresiseoeskgeet ANDIRUITAHLE / HTML स्मित मुस्कान से ऋषभदेव ने देवों की प्रार्थना स्वीकार की। श्री देव अपने विमानों (निवास-स्थानों) को लौट गए। ऋषभदेव ने * अपने राज्य को सौ खण्डों में विभक्त किया। उन्होंने अयोध्या का र राज्य भरत को दिया तथा तक्षशिला का राज्य बाहुबलि को दिया। Vशेष अठानवे पुत्रों को भी बराबर के राज्य दिए गए। तत्पश्चात् प्रभु

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