Book Title: Rushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Author(s): Priyadarshanashreeji
Publisher: Mahavir Prakashan

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Page 63
________________ eetOutORLHOSTERROR pisestuestesgesugestions 10. जलस्तम्भ 11. गीतमान 12. तालमान 13. मेघवृष्टि 14. फलाकृष्टि 15. आराम-रोपण। Mia 16. आकार गोपन 17. धर्म विचार 18. शकुनसार 19. क्रियाकल्प 20. संस्कृत जल्प 21. प्रसादनीति 1 22. धर्मनीति 23. वर्णिकावृद्धि 24. सुवर्णसिद्धि 25. सुरभितैलकर 26. लीलाासंचरण 27. हय-गजपरीक्षण 28. पुरुष-स्त्रीलक्षण 29. हेमरत्न भेद 30. अष्टादश लिपिपरीच्छेद . श्री 31. तत्काल बुद्धि 32. वस्तु सिद्धि 33. काम विक्रिया / 2 34. वैद्यक क्रिया 35. कुम्भ भ्रम 36. सारिश्रम 37. अंजनयोग 38. चूर्णयोग 39. हस्तलाघव 40. वचन-पाटव 41. भोज्य विधि 42. वाणित्य विधि 5) 43. मुखमण्डन, 44. शालि खण्डन 45. कथाकथन। 46. पुष्प ग्रंथन 47. वक्रोक्ति 48. काव्यशक्ति 49. स्फारविधिवेष 50. सर्वभाषा 51. अभिधान ज्ञान 52. भूषण-परिधान 53. भृत्योपचार 54. गृहाचार 55. व्याकरण 56. परनिराकरण . 57. रन्धन र 58. केशबन्धन 59. वीणानाद 60. वितण्डावाद 61. अंक विचा 62. लोक व्यवहार 63. अन्त्साक्षरिका 3) 64. प्रश्न प्रहेलिका अभिनिष्क्रमण- प्रभु ऋषभदेव विश्व को सामाजिक और राजनैतिक सुव्यवस्थाएं दे चुके थे। उनके हृदय में अध्यात्म से साक्षात्कार करके उसके प्रचार व प्रसार का मंगलमय संकल्प जगा। उसी समय पांचवें देवलोक के नौ लोकान्तिक देव प्रभु के इस gesdeegesdeegeregeskGeegesitergestergestergestgesteets

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