Book Title: Rushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Author(s): Priyadarshanashreeji
Publisher: Mahavir Prakashan

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Page 74
________________ vestuese testosteron अन्य धर्म एवं संप्रदायों में "भगवान ऋषभदेव") भारत के तीन प्रमुख धर्म है-जैन, बौद्ध एवं वैदिक (हिन्दू र धर्म) इन सभी की मान्यता है कि संसार में धर्म का आदि स्रोत करोड़ों अरबों वर्ष पुराना है। जैनधर्म के अनुसार वर्तमान काल 1) प्रवाह में इस पृथ्वी पर भगवान ऋषभदेव में सर्वप्रथम धर्म का प्रसार 2 किया। न केवल धर्म का, किन्तु मनुष्य को कृषि, व्यवसाय, कला, & शिल्प, राजनीति व राज व्यवस्था की शिक्षा सर्वप्रथम ऋषभदेव ने 3 कर दी थी। वे संसार के प्रथम राजा भी थे और प्रथम श्रमण (सन्यासी) 50 एवं धर्म प्रवर्तक तीर्थंकर भी हुए। इसलिए उन्हें आदिनाथ अथवा 1) प्रथम तीर्थंकर नाम से जाना जाता है। ऋषभदेव के सबसे बड़े पुत्र र कई भरत प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हुए। जिनके नाम से हमारे देश का नाम है र भारतवर्ष प्रसिद्ध हुआ। भगवान ऋषभदेव लोक नायक भी थे और धर्म नायक थे। 6) उन्होंने मानव समाज की उन्नति के लिए मनुष्य को पुरुषार्थ की ओर प्रवृत्त किया तथा फिर ओर आत्मशान्ति के लिए निवृत्ति का 2 मार्ग भी दिखाया संसार में सुचारु समाज व्यवस्था तथा राज & व्यवस्था स्थापित करके उन्होंने अन्त में संयम एवं त्याग मार्ग र स्वीकार कर भोग और त्याग का संतुलित जीवन दर्शन सिखाया। 3 भगवान ऋषभदेव का जीवन चरित्र जैन शास्त्रों के अतिरिक्त 1) ऋग्वेद एवं श्रीमद् भागवत पुराण आदि में भी आता | इतिहासकारों ने भगवान् ऋषभदेव तथा भगवान शिवशंकर में अनेक विचित्र 5 समानताएं देखकर अनुमान लगाया है कि कहीं एक ही महापुरुष / का के ही दो स्वरूप तो नहीं है ? चूँकि दोनों ही महापुरुषों का जीवन Les coses gestionarios vosotros

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