Book Title: Rushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Author(s): Priyadarshanashreeji
Publisher: Mahavir Prakashan
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________________ RELATESTORIESeesertREARRIA की सूचना दे रही थी। भ्रमर-समूह फूलों पर गुंजार कर रहा था। मलयाचल की हवा संपूर्ण वन-प्रदेश को सुरभि व शीतलता से भर / रही थी। तालाब व सरिताओं में स्फटिकवत् शीतल स्वच्छ व शांत 1) जल प्रवाहित हो रहा था। / वसंत पंचमी के शुभ दिन अयोध्यावासी रंग बिरंगे परिधानों ( से सुसज्जित होकर सम्राट् श्री ऋषभदेव के साथ नंदनोद्यान में वसंतोत्सव का आनन्द ले रहे थे। व्यापारी अपनी दुकानों में नहीं थे। कृषकगण खेतों में काम करते हुए नहीं दिख रहे थे। गोपालों का पर पशुधन स्वतन्त्र विचरण कर रहा था। सभी नंदनवन में वसंतोत्सव ) का आनन्द ले रहे थे। स्त्रियाँ विविध रंगों में सुन्दर पुष्पहारों को गूंथकर अपने है जीवनधन के गलों में हार पहनाकर हर्षित हो रही थीं। कुछ दम्पत्ति (द झूला झूल रहे थे। कुछ लोग हास्य-विनोद करते हुए स्वतन्त्र विचरण कर रहे थे। कुछ कुलवधुएँ एकान्त वाटिकाओं में बतरस में लीन थीं। बाल मंडलियाँ विविध खेलों का मजा ले रही थीं। उनकी किलकारियों व हँसी दिशाएँ अनुगुंजित हो रही थीं। महाराज ऋषभदेव उन दृश्यों को देखकर भी नहीं देख रहे थे। सहज़ में ही अन्तर्मुखी होकर चिंतन सागर में गहरे चले जा रहे tietoegegeegeest देवराज शक्रेन्द्र ने मनोरंजन का अनुकूल अवसर जानकर & नीलांजना अप्सरा को नृत्य करने का आदेश दिया। दर्शकों की दृष्टि : र नीलांजना के ऊपर जम–सी गई। नीलांजना विद्युत-आभा के 6

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