Book Title: Rupsen Charitra
Author(s): Jinsuri
Publisher: Atmanand Jain Tract Society

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Page 16
________________ ( 14 ) करेंगे और भी जो गुप्त बातें हैं सब तेरे आगे कहते हैं। हम चारों ने इस वृक्ष पर रह कर छै वर्ष तक एक देवता का अाराधन किया। वह देवता हम पर प्रसन्न हो गया और उसने हमें वरदान में चार वस्तुएं दीं। चारों चीज़ कुमार के आगे रख वे कहने लगे-हमारा इन पर विवाद है, इस लिये हे कुमार तुम जैसे चाहो यह चारों चीजे हमें बांट दो। . प्रथम-एक दण्ड (डण्डा) है, जिसके मारने से मृत वस्तु ... . पुनर्जीवित हो जाती है। दसरा-पात्र है जिसके द्वारा एक समय में एक लक्ष आदमियों को भोजन मिल सकता है। तीसरे-पादुकायें हैं जिन पर सवार होने से आदमी जहां चाहे जा सकता है। चौथे-गुदड़ी है जिसको फैलाने से पांच सौ स्वर्ण मुद्रा एक दम गिरती हैं। - कुमार रूपसेन ने चारों वस्तुओं के प्रभाव को भली भांति जान लिया, और योगियों से कहा ! यदि तुम चरों ही मेरा कहा मानों-तो मैं चारों को ही बराबर 2 बांट सकता हूं। किसी को भी न्यूनाधिक कहने का अवसर न मिलेगा। इस महान् कार्य में आप लोग मेरा चातुर्य देखें। योगी बोले हमें तुम्हारा किया स्वीकृत है। - यदि तुम्हें मेरी बात स्वीकार है तो तुम यहां से दूर जाकर मेरी तरफ पीठ करके बैठो। जिसकी तरफ में जो वस्तु फैकं P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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