________________ किस तरह जानती है" वेश्याने तुरन्त ही रूपसेन के कपड़ों पर सिन्दूर के निशान दिखायें। राजा ने विल्मिंत होकर कुमार से पूछा "क्या वेश्या जो कुछ कहती है सत्य है" वह वोला हाँ गाजन् ! सब सत्य है आप इन सब को छोड़कर मुझ अकेले को ही फांसी की आज्ञा दें। क्यों कि में ही अपराधी हूँ"। सभा के लोग कुमार के साहस को देख कर दंग रह गये और परस्पर कहने लगे कि यह महानुभाव कहां से अाया है, यह बड़ा साहसी है! मरने के समय भी इस के मुख पर चिन्ता का नाम तक नहीं। . .::.. __राजा ने कहा-"सभा में यह निर्लज होकर मेरे सामने बोलता है, अतः अवश्य ही चोर है। दूतों को तुरन्त ही आज्ञा दी कि इस रूपसेन को चौराहे पर ले जाया और फांसी देवो / तथा शेष सब को छोड़ दो। . श्राशा की देश थी-कुनार को तुरन्त ही चौराहे पर लेगये / सात तो वेश्यायों तथा लात सौ पहरे दारों को छोड़ दिया गया तथा कुमार को समस्त नगर में शुमाकर फांसी दे दी गई। ___ कुमार को शूली होने के उपरांत मालिन को भी पता लगा। वह बहुतं शोक प्रकट करने लगी, “कि राजाले बड़ा पाप किया; जो एक विदेशो को शूली चढ़ा दिया। इस तरह कुमार के गुणों को सरण करती हुई बह वहुत रोई धोई। रोने धोने में ही मालिन ने तमाम दिन व्यतीत किया। .. रात्रो में मालिन अपने पति से कहने लगी। पतिदेव ?. उस विदेशी ने हमपर बहुत से उपकार किये हैं। इस लमय P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust