Book Title: Rupsen Charitra
Author(s): Jinsuri
Publisher: Atmanand Jain Tract Society

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Page 42
________________ किसी ने मन्त्र द्वारा इसे छल से वानरी बना दिया या किसी देवता ने वैर से ऐसा किया है। राजा ने सब दासियों को बुला कर पूछा-क्या कल कोई कुमारी के पास आया था। ___ सब दासियों ने तुरन्त ही उत्तर दिया, अन्नदाता ? भागे यहां मालिन नित्य ही अकेली पाती थी, परन्तु जब वह कल आई थी तो उस के साथ एक वन्दर का वच्चा था और नाही उसके अतिरिक्त यहां कोई पाता जाता था। ___ राजा तुरन्त ही सभा में पाया और अपने मन्त्री बुद्धि सागर से सब कथा कह सुनाई और बोला-कहीं मालिन की कुछ शरारत न हो। मालिन को इसी समय सभा में उपस्थित करो। श्राज्ञा की देर थी मालिन तुरन्त ही सभा में कांपती हुई पहुंची "राजा मेरा क्या करेगा में किस लिये बुलाई गई हूँ" मालिन वहां बैंठी यही सोचती रही। . राजा ने क्रोधित हो मालिन से पूछा-अरी दुष्टे ? सत्य बत्तो यह इस तरह के छल कहां से सीखे हैं। और भी तो सारा नगर था, मेरे घर में ही तूने ऐसा क्यों किया। डर से कांपती हुई मालिन ने उत्तर दिया। हे राजेन्द्र ! मैं इस विषय में कुछ नहीं जानती। राजा ने पूछा "क्या कल तूने कुमारी को कोई बन्दर दिया था" ? मालिन बोली अहाराज जब मैं कल अपनी बाटिका में पुष्प लेने गई थी तो मुझे वहां से एक बन्दर मिला था, वह मुझ से कुमारी ने खेलने के लिये लेलिया था इससे अधिक मैं कुछ नहीं जानती। - 'मेरी पुत्री को वानर मंगाने की, क्या आवश्यकता थी, इस में सब तेरा ही दोष है। तूही दुष्ट पापिनी है। जो दण्ड : P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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