________________ ( 26 ) जीयों के वध को जान कर, उसके मन में दया का संचार हुया। वह सोचने लगा कि मेरे कारण हो इन सब को दुःख हो रहा है। क्यों न मैं अपने प्राणों से इनकी रक्षा कर / मैं ने कमा इल संलर में सदा रहना है ? . . "हमेशा के लिये रहना नहीं इस दारे फानी में- कुछ अच्छे काम करलो चार कि की जिन्दगानी में। वहा ले जाएगा इक दिन यह दावार फना सबकोरुकावट या नहीं संतो कभी इनकी रवानी में। कयाम इल जा नहीं सब व करजी दुनियां सेकोई बचपन कोई पीरी कोई अहद जवानी में ! क्षण भर सोच कर रूपम भागात्रामालिंग के घर गया और उन सिंदूर भरे वस्त्रों को धागण कर शीघ्र हो छोराहे पर पहुंचा। वहां से प्रतिहारी द्वारा गाजा के पास खबर पहुंचाई "कि आपके दर्शन करने को कोई विदेशी आया है। राजा को याज्ञा से रूपसंन तुरन्त राज सभा में लाया गया। कुमार सभा में श्राकर दिये हुए स्थान पर बैठ गया / राजा ने तेजलो कुमार के मुंह को एक टक देखा / कुमार का मुल तोहुए इन्दन की तरह बक रहा था। राजा ने सोचा शिबह अवश्यहो कोई विद्याधर, देव कुमार, सूर्यपुत्र, या चन्द्र दुभ है। ....... ___वहां बैठी हुई उस वृद्ध वेश्या ने कुमार रूपलेन के सिर भरे कपड़ों को देखकर राजा के कान में निवेदन किया, महाराज ! "यहो तो वह अपराधी है। राजा ने कहा-"तू P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust