________________ आ श्रीकैलाराराागररूरि ज्ञानमन्दिर 8so! श्रीमहावीर अम्यधना केन्द्र -फोवा. (गाधीनगर) पि 382009 सात सौ जवानों की जान बवाना चाहती थीं परन्तु यह नागहानी श्राफ़त हम पर ही टूट पड़ी। अब हम इस कर दुःख से किस तरह छूट सकती है ? जब तीस दिन पूरे हो चुके तो राजा के क्रोध का पारावार न रहा क्योंकि सात सौ वेश्यायें भी चोर व्यक्ति का पता न लगा सकीं। तुरन्त ही उन के लये शूली की आज्ञा देदी गई। दूतों को कह दिया गया कि "इन का घर दर सब हमारे खज़ाने में भेज दो तथा इस विषय में दोबारा पूछने की कोई आवश्यकता नहीं"। राजा के इस आदेश को सुन कर सभा में उपस्थित सभी सजन चिन्ता करने लगे। ___ समस्त नगर में प्रसिद्ध हो गया. कि पाप तो किसी ने किया होगा, परन्तु अनर्थ सात सौ वेश्याओं का होने को है। मन्त्रियों ने भो राजा से बहुत कुछ कहो सुना कि श्राप स्त्रियों को प्राण दण्ड न दें यह शास्त्र से विपरीत है। .. राजा ने कुपित होकर कहा-“सचिवाण ! इस विषय में हम से कुछ मत कहो" / मन्त्रियों का अपमान करके राजा ने अपनी आज्ञा को वापिस न लिया / ..: - उधर चौराहे पर उन सात सौ वेश्याओं को ले जाया गया। लोग वहां से दूर भाग रहे थे और कहते जाते थे कि अपराधियों के पास खड़े होना युक्त नहीं। रूपसेन. कुमार भी घूमता फिरता वहां आया और यह कुतुहल देख लोगों के हाहाकार को सुन कर तथा चौदह सौ P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust