Book Title: Rupsen Charitra
Author(s): Jinsuri
Publisher: Atmanand Jain Tract Society

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Page 39
________________ विश्वास सात किया है। "अब मैं उसे विश्वास बात का पता देना चाहता हूँ' : मालिन बोली-''अबला या क्रोध करना ठीक नहीं, चोटी पर हमला क्या' ? कुमार ने एक बार फिर कुमारी से मिलने की इच्छा प्रकट की। मालिन ने कुमार रूपसन को बहुतंग समझाया परन्तु उसने एक न मानी / मालिन ने फिर कहा. “कुमार ! पहिले ता तू पादुका प्रयाग सं जासकता था अब तो वहां सात सौ मनुष्यों का पहिरा है। तो कैसे वहां तक जाना होगा ? कुमार ने उत्तर दिया" भगिनी ! मेरे पास एकयुक्ति और है जो तू मेरा कहा करे तो में तेरे आगे प्रकट कर / उस भेद को किसी के आगे प्रकट न करना, क्योंकि स्त्रियों के हृदय गम्भीर नहीं होते। इसी कारण से मैं तुझे बार बार कहता हूं। इस पर मालिन ने कहा-"भाई ! सब स्त्रिये एक सी नहीं होती। इस लिये संकोच को त्याग कर पृर्णतया कह डाल / में हर तरह तरी मदद करने को प्रस्तुत है।" ____ कुमार को मालिन पर पूरा भरोसा होगया। कहने लगा कि मैं वन्दर बन जाता हूँ। तू मुझे लेकर कुमारी कनकवती के पास जा। संभव है वह मुझे अपनी क्रीड़ा के निमिन अपने पास रखले / परन्तु तू मुझे एक दम हो ना दंदना। इस तरह करने से वह तुझे अधिक धन देगी और मेरा भी कार्य सिद्धि हो जावेगी। ____ मालिन ने कुमार रूपसेन की बात को मान लिया। कुमार भी उसो क्षण बन्दर बन गया, मलिन उसे लेकर अपने घर गई और उसे अच्छे वस्त्राभूषण पहिना कर कुमारी के पास लेगई। .. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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