________________ सूखे वृत पर उस दण्ड को तीन वार मारा। वस दण्ड का तोसरी बार सूखे वृक्ष पर लगना था कि वह तुरन्त ही हरा भरा हो गया। तब कुमार ने समस्त वाटिका को हरा भरा कर दिया। आस पास के जाने वालों ने यह दशा देखी, तो श्रापस में कहने लगे, कि रात 2 में यह क्या चमत्कार हुआ जो सूखी हुई वाटिका हरी भरी हो गई। तुरन्त ही उसके मालिक से इसका भेद पूछा। माली ने पहिले तो इस बात को व्यर्थ समझा। निदान ! जब शहर के सभी आदमी उसके पास आकर हर्ष सन्देश देने लगे तो उसने अपनी पत्नी को परीक्षा करने के लिये वाटिका में भेजा। मालिन ने वहां जाकर देखा तो उसके हर्ष का पारावार न रहा। उस ने यह भी देखा कि एक सुकुमार एक वृक्ष के नीचे पड़ा सो रहा है। मालिन कुमार को देखते ही जान गई कि यह सब कृत्य इसी ही महानुभाव का है। इसने ही मेरी वाटिका को हरा भरा किया है। उसने वाटिका में से अच्छे 2 फूल चुन कर एक सुन्दर हार बनाया। जय कुमार निद्रा से जागा, तो सन्मान् पूर्वक वह हार कुमार के गले में डाल दिया / कुमार ने उस हार के उपलक्ष में मालिन को एक वर्ण-मुद्रा दे दी। सुवर्ण मुद्रा को पाकर मालिन बहुत प्रसन्न हुई और कुमार से कहने लगी "महाराज हमारे ग्रहो! भाग्य हैं, जो आप यहां पधारे हैं। अब श्राप .. मुझ किंकरी के घर चले।" . कुमार ने मालिन की बात सुनकर अपने मन में सोचा कि यह सब कुछ धन का कारण है, नहीं तो यह मुझे साथ P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust