________________ 1 ) श्रावर से पूछते हैं, उनके घर निःशांक भाव से जाने में भी कोई आपत्ति नहीं। .. अच्छे श्रादमियो का परदेश में माम ही होता है। कुमार ने भी उस घर में प्रवेश कर अपनी चारों वस्तुओं को धान्य कर एक कोने में रख दिया और श्राप नित्य ही नगर में जाता, तथा नगर का कुतुहल देखता। संभ्या होते ही, मालिन के घर प्राजाता। . . . . . - जब कुमार को वहां रहते बहुत दिन हो गये तव एक दिन मालिन ने कुमार की उस गांठ को उठा कर खोला। वस्तुएं देखते ही सोचने लगी, यह वस्तुएं तो योगियों के पास होतो हैं। यह (कुमार) अवश्यही कोई ठग यो चोर है। इसने ठगने के लिये ही मुझे, सोना दिया था। यदि यह मुझे छल कर मेरे बालकों को कहीं ले जायेगा तो मैं क्या करूंगी। इसे किसी तरह अपने घर से निकाल देना चाहिये। मालिन ने तुरन्त ही रूपसेन का सय सामान अपने घर के पछवाड़े डाल दिया। जब कुमार सनश समय बाहर से घूम कर पाया, तोमालिन उसके साथ कलह करने लगी। -: "कुमार ने कहा-वहिन ? तू मेरे साथ कलह क्यों करतो है। क्या श्राज तेरे मन में किसी ने भ्रम डाल दिया है, जिससे तू मेरे साथ लड़ती झगड़ती है"। मालिन ने कहा तू धूर्त है। मैं आज तक तेरे भेद को न पा सकी। "तुझ जैसे धूतौ के साथ जो भी वर्ताव करते हैं, वे अत्यन्त मूर्ख हैं"। "तूने मुझे धूर्त क्यों जाना"-कुमार ने अाग्रह पूर्वक मालिन से पूछा। इस पर मालिन ने कड़क कर जवाव दिया। सुन! ..:. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust