Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 10
________________ * का भंडार अन्य অস্ত্র বিকিনি रचयिता-श्री मुनि शिवदन । भाषा-स्कृत ! पत्र संख्या २६. साइज १२||xe इञ्च । दीमक लग जाने से प्रारम्भ के १० पृष्ठ फट गये हैं। मंगलाचरण इस प्रकार है ऋपभाटिबर्द्धमानांतान जिनान नत्वा स्वभक्तितः । सार्दू पढीपजिनः पूजां विरच यान्यहं ।। १ ।। प्रतिगयनमा रचयिता-अज्ञात । भाषा--हिन्दी । पत्र संख्या २ साइज ||| इञ्च । प्रतिलिपि संवत् १७२७. मंगलाचरण इस प्रकार है इंदं सबंचियचलऐति दुणवरनाणंद सण पईवो । वंदे अगह वोत्थं समासः अतंरायमलं ।। १ ।। अनमारधर्मामृत रचयिता-महा पं० आशाधर । भाषा-संस्कृत । पत्र संख्या ६०. साइज १२४५. इञ्च । विषय-साधुओं के आचार धर्म का वर्णन । लिपि संवत् १८२७. सिरोंज नगर निवासी श्री धरमचन्द ने उक्त ग्रन्थ की प्रतिलिपि करवाई। पति न० २. पत्र संख्या ४५. माइज ||४५ इञ्च । ग्रन्थ अपूर्ण । ४५. से आगे के पृष्ठ नहीं हैं। प्रति नं० ३. पत्र संन्या ३४४. साइज ११||४|| इञ्च । लिपि संवत् १५४६ प्रति सटीक है। दीका का नाम भव्यकुमुद चन्द्रिका है। अनघरावर रचयिता-श्री मुरारी । भाषा-संस्कृत । पत्र संख्या ६४. साइज ११||४|| इञ्च । लिपि संवत् १८३६. विषय श्री रामचन्द्र का जीवन चरित्र का वर्णन । प्रति नं० २. पत्र संख्या ३०. साइज ??||४|| प्रति अपूर्ण है। अनंतजिन पूजा ___रचयिता-अज्ञात । भापा-हिन्दी । पत्र संख्या ५. साइज़ ११४५।। इश्च । प्रति अपूर्ण है। अन्तिम पृष्ठ नहीं है । विषय-श्री अनंतनाथ की पूजा ।

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