Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 2 Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 8
________________ क्रमांक विषय सूत्रांक पृष्ठशक २९९ ३१६ ३२३ २९ संस्कृत-धातु "अस्" के भूत-कालीन रूपों का संविधान ३० "विधि-आत्मक' विधि से संबंधित प्रत्ययों ___ का संविधान १६५ ३१ "भविष्यत्-काल" से संबंधित प्रत्ययों का संविधान १६६ से १७२ ३२ आज्ञार्थक प्रादि अवशिष्ट लकार-विषि से संबंधित प्रत्ययों का संविधान १७३ से १७६ ३३ सभी लकारों में, तथा इनके सभी कालों में एवं दोनों वचनों में और तीनों पुरुषों में समान रूप से प्रयुक्त होने वाले "ज" तथा "ज्जा" प्रत्ययो का संविधान १७७ ३४ कुछ एक लकारों में अकारान्त के सिवाय शेष स्वरान्त धातुओं के और प्रयुज्यमान प्रत्ययों के मध्य में बैकल्पिक रूप से प्राप्त होने वाले विकरण प्रत्यय रूप "ज्ज" और "ज्जा" की संयोजना का संविधान ३५ “क्रियातिपत्ति" विधान के लिये प्राप्तब्य प्रत्ययों का संविधान १७९ और १८० ३६ "वर्तमान-कृदन्त" अर्थक प्रत्ययों का निरूपण ३७ "स्त्रीलिंग के सदभाव" में वर्तमान-कृदन्त अर्थक प्रत्ययों को संविवेचना १८२ १७८ ३२५ ३४० तृतीय-पाद-विषय-सूची-सार-संग्रह १ संज्ञाओं और विशेषणों का विभक्ति-रूप प्रदर्शन २ सर्वनाम शब्दों को विभक्ति-रूप-विवेचना ५८ से १२४ ३ रूप-संबंधी विविध-विवेचना १२५ से १३० ४ वाक्य-रचना-प्रकार-प्रदर्शन १३१ से १३७ ५ क्रियापदों का विविध-रूप-प्रदर्शन १३८ से १८२ २१८ २२५ २३९ चतुर्थ-वादः १ संस्कृत-धातुओं के स्थान पर प्राकृत-भाषा में विविध ढंग से आदेश प्राप्त धातुओं का निरूपण २ शौरसेनी-भाषा-निरूपण ३ मागधी-भाषा-विवेचना १ से २५९ २६० से २८६ २८७ से ३०२ ३४३ ४३२Page Navigation
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