Book Title: Prakrit Vyakarana Author(s): Kamalchand Sogani Publisher: Apbhramsa Sahitya AcademyPage 19
________________ सरणागए ___ = 14 = 22 बहिरंधलिया एक्कमेक्केहि कमलायराण तेव __ = 34 पाठ 6 = कार्तिकेयानुप्रेक्षा गिह-गोहणाइ भुंजिज्जउ सयलट्ठ-विसयजोओ सव्वायरेण एयत्ताविट्ठो कहिज्जमाणं गव्वमुव्वहइ = 15 नराहिवा - 21 जुत्ताजुतं = 23 थिरारंभा = 25 घरंगणं पाठ 7 = दसरह पव्वज्जा तणमसारं = 53 पाठ 5 = अष्टपाहुड चारित्तसमारूढो अरसमरूवमगंधं चेयणागुणमसदं मरणग्गिणा जेणाहं = 15 = 56 = 15 दिक्खाभिमुहं = 58 जाणमलिंगग्गहणं = 15 पालणट्ठाए = 60 = 15 किमेत्थं = 61 = 16 काऽवत्था = 61 जीवमणिद्दिट्ठसंठाणं सायारणयारभूदाणं झाणज्झयणो परन्भिंतरबाहिरो अंतोवायेण %= 17 एक्कोऽत्थ = 62 = 22 = 22 भवारण्णे मोहन्धो दिक्खाहिलासिणो विणओवगया बहिरत्थे = 25 = 64 कम्मिंधणाण = 27 = 65 (10) प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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