Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 74
________________ णायअ (पु.) नायक, णायअ + आ = णायिआ (नायिका) णाडग (पु.) नाटक, णाडग + आ = णाडिगा (नाटिका) गोवालय (पु.) ग्वाला, गोवालय + आ = गोवालिया (गोपालिका) पालय (पु.) पालने वाला, पालय + आ = पालिआ (पालने वाली) णट्टअ/पट्टग(पु.)नाचने वाला, णट्ट/पट्टग+आ णट्टिआ/पट्टिगा (नाचने वाली) कुछ अध्ययनीय शब्द : पुल्लिंग स्त्रीलिंग जुव (जवान) जुवई (युवती) जुवाण (तरुण) जुवाणी (तरुणी) हत्थि (हाथी) हत्थिणी (हथिणी) सामि (स्वामी) सामिणी (स्वामिनी) सेट्ठि (सेठ) सेट्ठिणी (सेठाणी) पइ (पति) भज्जा (पत्नी) पिउ (पिता) माया (माता) पुरिस (पुरुष) इत्थि (स्त्री) भाउ (भाई) बहिणी (बहिन) प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास-कारक-तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय (65) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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