Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 90
________________ मनोविकारसूचक अव्यय हर्ष, खेद, दया, शोक, क्रोध आदि विभिन्न भावों की सूचना देने वाले कुछ निम्न अव्यय हैं - हा (खेद), हाहा (शोक), अरे (विस्मय), धि (धिक्कार), आ (खेद, दु:ख, क्रोध), अम्मो (आश्चर्य), खु (आश्चर्य), हंदि (विषाद या खेद)। वाक्य-प्रयोग १. धि दुजणं। = दुर्जन को धिक्कार २. हा रावणो रामस्स ईसइ। - खेद है कि रावण राम से ईर्ष्या करता है। ३. अरे दुट्ठो मणुसो सज्जणस्स वि दोहइ। - विस्मय है कि दुष्ट मनुष्य सज्जन से भी द्रोह करता है। ४. हा हा माया पुत्तवियोगे अईव कंदिआ।= शोक है कि माता पुत्र वियोग में अत्यन्त रोयो। आ तस्स आयारो पसुसरिसो अत्थि। - । खेद है कि उसका आचरण पशु के समान है। ६. अम्मो/खु हरिस्स भत्ती न भावइ। - आश्चर्य है कि हरि को भक्ति अच्छी नहीं लगती। ७. हंदि सो नरिंदस्स ईसइ। विषाद या खेद है कि वह राजा से ईर्ष्या करता है। अतिरिक्त अव्यय कृदन्तों में हेत्वर्थक कृदन्त और सम्बन्धक कृदन्त अव्यय होते हैं। जैसे - णच्चिउं/आदि (हेत्वर्थक कृदन्त), णच्चिऊण/णच्चित्ता/आदि (सम्बन्धक कृदन्त)। प्राकतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक-तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय (81) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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