Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 91
________________ हुत्तं प्रत्यय और खुत्तो प्रत्यय से बने शब्द अव्यय होते हैं। जैसे - तिहुत्तं और तिक्खुत्तो। पंचमीअर्थक प्रत्यय अव्यय होते हैं। जैसे - सव्वत्तो, सव्वदो, सव्वओ (सब ओर से) एकत्तो, एकदो, एकओ (एक ओर से) अनत्तो, अन्नदो, अन्नाओ (दूसरों से) कत्तो, कदो, कओ (कहाँ से) जत्तो, जदो, जओ (जहाँ से) तत्तो, तदो, तओ (वहाँ से) इत्तो, इदो, इओ (यहाँ से) सप्तमीअर्थक स्थानवाची प्रत्यय अव्यय होते हैं। जैसे - जहि, जह, जत्थ (जिस स्थान में) तहि, तह, तत्थ (उस स्थान में) कहि, कह, कत्थ (किस स्थान में) अन्नहि, अन्नह, अन्नत्थ (अन्य स्थान में) सव्वहि, सव्वह, सव्वत्थ (सब स्थान में) एक समय के अर्थ में प्रयुक्त शब्द अव्यय होते हैं। जैसे एक्कसि/ एकसि/एक्कइया/एगया = एक समय अव्वईभाव समास अव्यय होते है। जैसे - (i) उवगुरुं = गुरुणो समीवं (गुरु के समीप) (ii) अणुभोयणं = भोयणस्स पच्छा ( भोजन के पश्चात्) (82) प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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