Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 60
________________ 5. तेसु कुमारेसु समं, सामन्तजणेण वच्चमाणेणं। उस समय उन कुमारों के साथ जाते हुए सुन्ना साएयपुरी, जाया छणवज्जिया तइया ॥ सामन्तजनों के कारण साकेतपुरी शून्य (दशरहपव्वज्जा 118) (तथा) उत्सवरहित हो गई। (नियम 3) 6. पुरोहिअस्स य पुत्तो समीवे ठिओ वट्टइ, तया पुरोहित का पुत्र समीप बैठा रहा तब पुरोहिओ समागओ पुत्ते पुच्छइ। पुरोहित आया और पुत्र को पूछता है। (ससुरगेहवासीणं चउजामायराणं कहा 6) (नियम 3) निम्नलिखित वाक्यों का प्राकृत में अनुवाद कीजिए । जहाँ कहीं विभक्तियों का अन्तर परिवर्तन नियम समान है, वहाँ दोनों प्रकार से अनुवाद कीजिए। 1. राजा आसन पर बैठा। 2. वह घर में रहता है। 3. क्रोध के शान्त होने पर दया होती है। 4. कुशील के नष्ट होने पर शील प्रकट होता है। 5. आगमों को जानकर तुम्हारे लिए सत्य कहा गया है। 6. अनुचरों के साथ बातचीत करके वह गया। 7. विषय से उदासीन चित्त योगी होता है। प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय (51) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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