Book Title: Prakrit Vyakarana Author(s): Kamalchand Sogani Publisher: Apbhramsa Sahitya AcademyPage 69
________________ (vi) त्ता अथवा या प्रत्यय : अर्धमागधी में त्ता अथवा या विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसे - गवेसण + त्ता = गवेसणत्ता/गवेसणया (स्त्री.) (अन्वेषण) अथवा गवेषण (पु., नपु.) अणुकंपण + त्ता = अणुकंपणता/अणुकंपणया (स्त्री.) (अनुकम्पा) अथवा अणुकंपण (पु., नपु.) 14. तर (अर) और तम (अम) प्रत्यय अथवा ईयस और इट्ठ प्रत्यय जब दो वस्तुओं की तुलना की जाती है तो विशेषण तुलनात्मक कहलाता है और विशेषण के आगे अर या ईयस प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जिससे विशेषता दिखाई जाती है उसमें पंचमी विभक्ति होती है। जैसे -- मंती नरिंदत्तो/नरिंदाओ आदि पडुअरो/पडीयसो अत्थि (मंत्री राजा से चतुर है।) जब बहुत में से एक का अतिशय बताया जाता है तो वस्तुओं की तुलना करके एक की विशेषता बताई जाती है। यह अतिशयबोधक विशेषण कहलाता है और विशेषण के आगे अम या इट्ठ प्रत्यय लगाया जाता है । जिनसे विशेषता बताई जाती है उनमें षष्ठी या सप्तमी विभक्ति होती है। जैसे - छत्ताणं/छत्तेसु रामो पडुअमो/पडिट्ठो अत्थि (छात्रों में राम कुशलतम हैं।) नोट: अर और अम प्रत्यय सभी विशेषणों के साथ लगाए जा सकते हैं किन्तु ईयस और इट्ठ प्रत्ययों को प्रयोगों के आधार पर समझा जाना चाहिए। तिक्ख (तेज) तिक्खअर तिक्खअम पिय (प्रिय) पियअर पियअम अहिअ (अधिक) अहिअअर अहि अअम गुरु (गुरु) गरीयस गरिट्ठ धनी (धनी) धम्मी (धर्मात्मा) धनीयस धम्मीअस धनिट्ठ/धणि? धम्मिट्ठ (60) प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास-कारक-तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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