Book Title: Prakrit Vyakarana Author(s): Kamalchand Sogani Publisher: Apbhramsa Sahitya AcademyPage 66
________________ (ग) वियार + उल्ल दप्प + उल्ल (घ) रस + आल सद्द + आल (च) धण + वन्त भत्ति + वन्त (छ) सिरि + मन्त पुण्य + मन्त (ज) कव्व + इत्त माण + इत्त (ट) गव्व + इर रेह + इर = 1 अन्न + = क + = = = = Jain Education International = = णाण + तो + दो फल + तो + दो = वियारुल्ल (वि.) (विचारवाला, विचारवान ) दप्पुल्ल (वि.) (दर्पवाला, दर्पवान ) (ठ) धण + मण सोहा + मण 10. त्तो, दो, ओ प्रत्यय : (हेम - 2 / 160 ) पंचमी अर्थक प्रत्यय तो, दो, ओ संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्दों में जोड़े जाते हैं । निर्मित शब्द अव्यय होते हैं। जैसे रसाल (वि.) (रसवाला, रसवान) सद्दाल (वि.) (शब्दवाला, शब्दवान) धणवन्त (वि.) ( धनवाला, धनवान ) भत्तिवन्त (वि.) (भक्तिवाला, भक्तिवान ) + सिरिमन्त (वि.) (श्रीमान्) पुण्यमन्त (वि.) (पुण्यवाला, पुण्यवान ) कव्वइत्त (वि.) (काव्यवाला, काव्यवान ) माणइत्त (वि.) (मानवाला, मानवान) गव्विर (वि.) (गर्ववाला, गर्ववान ) रेहिर (वि.) (रेखावाला, रेखावान) धणमण (वि.) ( धनवाला, धनवान ) सोहामण (वि.) (शोभावाला, शोभावान) सव्व + तो दो + एक + त्तो + दो + ओ तो दो + ओ + + ओ णाणत्तो, णाणदो, णाणओ ( ज्ञानपूर्वक ) ओ + ओ तो + दो + ओ ज + त्तो दो ओ + + = = = = = कत्तो, कदो, कओ (कहाँ से) जत्तो, जदो, जओ (जहाँ से) प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय - = = फलत्तो, फलदो, फलओ ( फलस्वरूप ) सव्वत्तो, सव्वदो, सव्वओ (सब ओर से ) एकत्तो, एकदो, एकओ (एक ओर से ) अन्नत्तो, अन्नदो, अन्नओ (दूसरे से / दूसरी तरफ से ) For Private & Personal Use Only (57) www.jainelibrary.orgPage Navigation
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