Book Title: Prakrit Vyakarana Author(s): Kamalchand Sogani Publisher: Apbhramsa Sahitya AcademyPage 64
________________ (ख) मुह + उल्ल = मुहुल्ल (नपु.) अथवा मुह (मुख) हत्थ + उल्ल = हत्थुल्ल (पु., नपु.) अथवा हत्थ (हाथ) 6. 'हुत्तं' प्रत्यय : (हेम - 2/158) किसी क्रिया की गणना करने के लिए हुत्तं (अ) का प्रयोग किया जाता है। जैसे - तिहुत्तं = तीन बार, सयहुत्तं = सौ बार अर्धमागधी में खुत्तो (क्खुत्तो) (अ) का प्रयोग होता है। जैसे - तिखुत्तो/तिक्खुत्तो = तीन बार, सहसखुत्तो/सहसक्खुत्तो = हजार बार 7. 'इमा', 'त्तण', 'त्त' और 'ता' प्रत्यय : (हेम - 2/154) भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए ‘इमा' और 'त्तण' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। विकल्प से ‘त्त' और 'ता' भी जोड़ा जाता है। जैसे - पीण + इमा = पीणिमा (स्त्री.) पीण + त्तण = पीणत्तण (नपु.) पीण + त - पीणत्त (नपु.) पुष्टता पीण + ता = पीणता (स्त्री.) > पीणया पुप्फ + इमा = पुप्फिमा (स्त्री.) पुप्फ + त्तण = पुप्फत्तण (नपु.) पुप्फ + त्त - पुप्फत्त (नपु.) पुष्पता पुप्फ + ता = पुष्फता (स्त्री.) > पुप्फया 8. 'इत्तिअ' प्रत्यय : (हेम - 2/156) परिमाण अर्थ प्रकट करने के लिए इत्तिय प्रत्यय ज, त, एत में जोड़ा जाता है। जैसे - + + + प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक-तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय (55) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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