Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 61
________________ तद्धित क्रियाओं को छोड़कर संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में जो प्रत्यय शब्द से जुड़कर विभिन्न अर्थों में प्रयोग किये जाते हैं, उन प्रत्ययों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं। तद्धित प्रत्यय क्रिया में नहीं जोड़े जा सकते हैं। केर', 'एच्चय', 'इल्ल', 'उल्ल' आदि तद्धित प्रत्यय हैं, इन प्रत्ययों के लगाने से जो शब्द बनते हैं, उन्हें तद्धित कहते 1. 'केर' प्रत्यय : (हेम - 2/147) संबंध को सूचित करने के लिए 'अम्ह', 'तुम्ह', 'पर', 'राय' में 'केर' प्रत्यय जोड़ा जाता है, जैसे - अम्ह + केर = अम्हकेर (वि.) अम्हकेरो पुत्तो (मेरा पुत्र), अम्हकेरं वत्थं (मेरा वस्त्र), अम्हकेरी पुत्ती (मेरी पुत्री), अम्हकेरा पुत्ता (हमारे पुत्र) आदि। तुम्ह + केर = तुम्हकेर (वि.) तुम्हकेरो पुत्तो (तेरा पुत्र), तुम्हकेरं वत्थं (तेरा वस्त्र) तुम्हकेरी पुत्ती (तेरी पुत्री), तुम्हकेरा पुत्ता (तुम्हारे पुत्र) आदि। पर + केर - परकेर अथवा पारकेर (वि.) परकेरो पुत्तो (अन्य का पुत्र) आदि। राय + केर - रायकेर (वि.) रायकेरो पुत्तो (राजा का पुत्र) आदि। 2. 'क' तथा 'इक्क' प्रत्यय : (हेम - 2/148, 1/144) पर + क = परक्क अथवा पारक (वि.) (पर का, अन्य का) राअ + इक्क = राइक्क (वि.) (राजा का) 3. 'एच्चय' प्रत्यय : (हेम - 2/149) तुम्ह + एच्चय = तुम्हेच्चय (वि.) अम्ह + एच्चय = अम्हे च्चय (वि.) (52) प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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