Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 25
________________ इंदियं अतीतो ___ = इंदियातीतो (इंद्रियों से अतीत) अग्गिं पडिओ ___ = अग्गिपडिओ (अग्नि में पडा हुआ) सिवं गओ सिवगओ (शिव को प्राप्त) सुहं पत्तो सुहपत्तो (सुख को प्राप्त) पलयं गओ = पलयगओ (प्रलय को प्राप्त) दिवं गओ = दिवगओ (स्वर्ग को प्राप्त) कटुं आवण्णो = कट्ठावण्णो (कष्ट को प्राप्त) । तइआ विभत्ति तप्पुरिस (तृतीया तत्पुरुष) - जब तत्पुरुष समास का प्रथम शब्द तृतीया विभक्ति में हो, तब उसे तृतीया तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे - साहूहिं वन्दिओ = साहुवंदिओ (साधुओं द्वारा वंदित) जिणेण सरिसो ___ = जिणसरिसो (जिन के समान) दयाए जुत्तो ____ = दयाजुत्तो (दया से युक्त) गुणेहिं संपनो = गुणसंपन्नो (गुणों से सम्पन्न) पंकेन लित्तो = पंकलित्तो (कीचड़ से लिप्त) (iii) चउत्थी विभत्ति तप्पुरिस (चतुर्थी तत्पुरुष) - जब तत्पपुरुष समास का प्रथम शब्द चतुर्थी विभक्ति में हो, तब उसे चतुर्थी तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे - मोक्खाय नाणं __= मोक्खनाणं (मोक्ष के लिए ज्ञान) लोयाय हिओ = लोयहिओ (लोक के लिए हित) लोगस्स सुहो = लोगसुहो (लोग के लिए सुख) बहुजणस्स हिओ - बहुजणहिओ (बहुजनों के लिए हित) (iv) पंचमी विभत्ति तप्पुरिस (पञ्चमी तत्पुरुष) - जब तत्पुरुष समास का - पहला शब्द पञ्चमी विभक्ति में रहता है, तब उसे पञ्चमी तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे (16) प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक-तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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