Book Title: Prakrit Vyakarana Author(s): Kamalchand Sogani Publisher: Apbhramsa Sahitya AcademyPage 54
________________ प्रयोग वाक्य 1. भावे विरत्तो मणुओ विसोगो वस्तु-जगत से विरक्त मनुष्य दु:खरहित (समणसुत्तं 5) (होता है)। (नियम 10) 2. णाणगुणेहि विहीणा ण लहंते ते जो (सम्यक्) ज्ञान-गुण से रहित (हैं), सुइच्छियं लाहं । (अष्टपाहुड 2) वे भली प्रकार से (भी) चाहे हुए लाभ को प्राप्त नहीं करते हैं । (नियम 10) 3. जो देहे णिरवेक्खो णिबंदो णिम्ममो णिरारंभो। जो देह से उदासीन है, (जो) आदसहावे सुरओ जोई सो लहइ णिव्वाणं॥ (मानसिक) द्वन्द्व-रहित (हैं) ममतारहित (अष्टपाहुड 26) (तथा) जीव-हिंसारहित (है), जो आत्म-स्वभाव में पूरी तरह संलग्न है, वह योगी परम शांति प्राप्त करता है। (नियम 10) 4. तत्थ आत्थरणाभावे अईवसीयबाहिया वहाँ बिस्तर के अभाव में अत्यन्त ठंड से तुरंगमपिट्ठच्छाइआवरणवत्थं गहिऊण रोगी होने के कारण (वे) घोड़े की पीठ भूमीए सुत्ता। (ससुरगेहवासीणं चउजामायराणं कहा 5) पर ढकनेवाले आवरण वस्त्र को ग्रहण करके भूमि पर सोए। (नियम 2)करके भूमि पर सोए। (नियम 2) 5. विसए विरत्तचित्तो जोई जाणेइ अप्पाणं । (अष्टपाहुड 30) (जिस योगी का) चित्त विषय से उदासीन है, (वह) योगी (ही) आत्मा को जानता है। (नियम 10) निम्नलिखित वाक्यों का प्राकृत में अनुवाद कीजिए। जहाँ कही विभक्तियों का अन्तर परिवर्तन नियम समान है, वहाँ दोनों प्रकार से अनुवाद कीजिए। 1. पहाड़ से नदी निकलती है। 2. पत्ते से बूंदे गिरती है। 3. वह गम्भीरता के कारण प्रसिद्ध है। 4. चोर राजा से डरता है। 5. वह पिता से छिपता है। 6. वह पाप से बचता है। 7. तुम गुरु से पुस्तक पढ़ो। 8. राजा असत्य से घृणा करता है। 9. मूर्ख सज्जनों से हटता है। 10. वह स्वाध्याय में प्रमाद करता है। 11. क्रोध से मोह उत्पन्न होता है। 12. हिंसा से अहिंसा श्रेष्ठ है। 13. वह ज्ञान-गुण से रहित है। 14. वह भाव से विरक्त होता है। 15. धर्म के बिना जीवन व्यर्थ है। प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय (45) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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