Book Title: Prakrit Vyakarana Author(s): Kamalchand Sogani Publisher: Apbhramsa Sahitya AcademyPage 52
________________ 3. भय अर्थवाली धातुओं के योग में भय का कारण पंचमी में रखा जाता है। जैसे - बालओ सप्पत्तो/सप्पाओ/आदि बीहइ/बीहए/आदि (बालक सर्प से डरता है।) 4. जब कोई अपने को छिपाता है, तो जिससे छिपना चाहता है वहाँ पंचमी विभक्ति होती है। जैसे -- सो गुरुणो/गुरुत्तो/गुरूओ/आदि लुक्कइ/लुक्कए/आदि (वह गुरु से छिपता है।) रोकना अर्थवाली क्रियाओं के योग में पंचमी विभक्ति रहती है। जैसे - गुरु सिस्सं पावत्तो/पावाओ/आदि रोक्कइ/रोक्कए/आदि (गुरु शिष्य को पाप से रोकता है।) 6. जिससे विद्या, कला पढी/सीखी जाए, उसमें पंचमी होती है। जैसे - सो गुरुत्तो/गुरूओ/आदि गायणकलं सिक्खइ/सिक्खए/आदि (वह गुरु से गाने की कला सीखता है।) 7. दुगुच्छ (घृणा), विरम (हटना) और पमाय (भूल, असावधानी) तथा इनके समानार्थक शब्दों या क्रियाओं के साथ पंचमी होती है। जैसे - (i) सज्जणो पावत्तो/पावाओ/आदि दुगच्छइ/दुगच्छए/आदि (सज्जन पाप से घृणा करता है।) मुक्खो अज्झयणत्तो/अज्झयणाओ/आदि विरमइ/विरमए/आदि (मूर्ख अध्ययन से हटता है।) (iii) तुमं सज्झायत्तो/सज्झायाओ/आदि पमायसि/पमायसे/आदि (तुम स्वाध्याय से प्रमाद करते हो।) 8. उपज (उत्पन्न होना), पभव (उत्पन्न होना) क्रिया के योग में पंचमी विभक्ति होती है। जैसे(i) खेत्ततो/खेत्ताओ/आदि धन्न उप्पज्जइ/उप्पज्जए/आदि (खेत से धान उत्पन्न होता है।) प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय (43) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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