Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 38
________________ रामो झाअइ (राम ध्यान करता है।) यहाँ कर्ता अन्य पुरुष एकवचन का है तो क्रिया भी अन्य पुरुष एक वचन की प्रयुक्त हुई है। तुमं झाअसि (तुम ध्यान करते हो।) यहाँ कर्ता मध्यम पुरुष एकवचन का है तो क्रिया भी मध्यम पुरुष एक वचन की प्रयुक्त हुई है। (iii) अहं झाआमि (मैं ध्यान करता हूँ।) यहाँ कर्ता उत्तम पुरुष एकवचन का है तो क्रिया भी उत्तम पुरुष एक वचन की प्रयुक्त हुई है। 2. वाक्यों में जब दो या दो से अधिक कर्ता संज्ञाएँ हो तो क्रिया बहुवचन की होगी। जैसे - रामो हरी य चिट्ठन्ति (राम और हरी बैठते हैं।) 3. जब अनेक संज्ञाएँ अलग-अलग समझी जाती है अथवा अनेक संज्ञाएँ एक साथ मिलकर केवल एक विचार को प्रकट करती है तो क्रिया एकवचन की होगी। जैसे - कोहो माणो माया लोहो संतिं नासेइ (क्रोध मान माया लोभ शांति को नष्ट करते हैं।) जब वाक्य में एकवचन का (संज्ञा कर्त्ता) कर्ता अथवा से जुड़ा होता है तो एकवचन की क्रिया आती है। किन्तु जब कर्त्ता भिन्न वचनों का हो, तो क्रिया निकटतम कर्ता के अनुसार होगी। जैसे(i) राया मन्ती वा वियारइ (राजा अथवा मंत्री विचार करता है।) (ii) ससा वा भाई वा बालआ आगच्छन्ति (बहिन अथवा भाई अथवा बालक आते हैं।) 5. जब उत्तम, मध्यम तथा अन्य पुरुष के कर्ता हो तो क्रिया उत्तम पुरुष बहुवचन की होगी और जब मध्यम तथा अन्य पुरुष का कर्ता हो तो क्रिया मध्यम पुरुष बहुवचन की होगी। जैसे(i) सो, तुमं, अहं च उट्ठमो (वह, तुम और मैं उठते हैं।) प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय (29) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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