Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 32
________________ घरंगणं = 50 = 76 भोगकारणं सिरपणाम = 101 चलणवन्दणं = 104 कलुणपलावं = 114 = 11 जणवयाइण्णा = 115 = 17 जणयधूया = 116 पाठ 8 = रामनिग्गमण-भरहरजविहाणं = 21 जलसमिद्धा = 11 पाठ 5 = अष्टपाहुड विणयसंजुत्तो दयाविसुद्धो 8 पढमलिंगं झाणज्झयणो झाणपईवो = 19 करुणभावसंजुत्ता चरित्तखग्गेण विरत्तचित्तो पाठ 6 = कार्तिकेयानुप्रेक्षा गाथा जल-भरिओ दुक्ख-सायरे = 18 सुक्ख-दुक्खाणि पाठ 7 = दसरह पव्वजा भवारण्णे = 21 = 30 आणागुणविसालं = 46 नमियसरीरो पाठ १ = अमंगलिय पुरिसस्स कहा = 46 __= 5 पैरा परचक्कभएण गाथा मुहपेक्खणेण वयणजुत्तीए मुहदंसणं पाठ 10 = विउसीए पुत्तबहूए कहाणगं %3 62 = 63 = 64 सव्वकलाकुसला दिक्खाहिलासिणो दुद्धरचरिया महासंगामे ___ = 68 = 73 अट्ठवासा पिउपेरणाए सव्वण्णधम्मसवणेण = 1 चिन्तासमुद्दे = 74 प्राकतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय (23) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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