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महावीर के संघ की गणिनी युगप्रवर्तिका
'चन्दन बाला'
-डॉ० नीलम जैन चन्दनबाला का जीवन सामाजिक विषधरों से घिरा साक्षात् चन्दन-वन है। तेजस्विनी, विदुषी, दृढ़ संकल्पी, शान्त, सौम्य पूर्वकृत पापों के सर्पदंश को सहने वाली आदर्श नारी चन्दना वर्तमान युग में नारियों के लिये युगादर्श है। अपहरण की मर्मान्तक व्यथा से व्यथित, रूप के बाजार में बिकती हुई चन्दना नारी-देह के सौदागरों के बीच से बच भी गई तो क्या, नारी द्वारा ही प्रताड़ना, आशंका एवं चारित्रिक भ्रष्टता के आरोपों से बच पाई थी? उस षोडशी राजकुमारी ने अल्पवय में ही स्त्रीत्व के कारण उत्पन्न उन सब कष्टों एवं समस्याओं को एक साथ झेलकर अपने व्यक्तित्व का सुपथ निश्चित किया था।
पौराणिक कथानकों में चन्दना का कथानक कुछ अधिक ही निकट लगता है। वह एक ऐसी युवती है, जो पूरे कथानक में अकेली ही दुःख-सुख के भंवर में फंसती-निकलती है। एक पल वेश्या के अपवित्र हाथों में पड़ने का पातकी-दु:ख, दूसरी ओर सेठ जैसे धर्मपिता प्राप्त हो जाने का सहज, स्वाभाविक दिव्य-सुख। एक पल अपरिचित सर्वथा अनजान घर में पुत्री बन जाने का सुखद सौभाग्य और दूसरे ही पल पिता-पुत्री के सम्बन्ध पर उछाले जाते क्षार को आकण्ठ पीकर भी जीवित रह जाने का अकथ दुर्भाग्य । इसप्रकार जहाँ जंजीरों में जकड़ी, उबले हुए कौदों के दाने-दाने को अपने दु:खों की कालिमा से रंग हुए देख-देखकर फूट-फूटकर रोती चन्दना और कहीं बाहर जय-जयकारों के स्वरनाद के मध्य उन्हीं का दिव्य-व्यंजनों में बदल जाने के चमत्कार से विस्फारित नेत्रों में हर्षाश्रु बरस जाने का रोचक आह्लादकारी क्षण। पिछले पल ही चरित्रभ्रष्टा त्याज्य चन्दना और अगले ही पल जगत्पूज्या चन्दना ! कर्मों की जैसी धूप-छांव और अठखेली चन्दना ने देखी, वैसी अन्यत्र दिखाई नहीं पड़ती।
दोनों ही प्रकार की नारी एक साथ इस युग में देखी जा सकती हैं। एक नारी कोमलता, गहनता, सुन्दरता, उदारता, त्याग एवं तपस्या का प्रांजल कोष और पुण्य-सलिला है; तो वेश्या और सेठानी जैसी नारियां कठोरता, चपलता, लम्पटता, क्षुद्रता, प्रच्छन्नपतका की क्षुद्र-प्रतिनिधि भी हैं।
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प्राकृतविद्या जनवरी-जून'2001 (संयुक्तांक) + महावीर-चन्दना-विशेषांक
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