Book Title: Prakrit Vidya 01
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 134
________________ व्यक्त की कि इन दोनों में समानता और एकरूपता होनी चाहिये। उन्होंने इस बात पर दुःख व्यक्त किया है कि "देश में आज अहिंसा और प्रेम की जगह हिंसा और नफरत का माहौल पैदा किया जा रहा है तथा सत्ता और धन ही सब कुछ हो गया है। अच्छी-अच्छी और आदर्श की बातें करने वाले ही यह सब कुछ कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि “हजारों साल की तपस्या के बाद हमारे देश में जिन मूल्यों की स्थापना हुई. आज उन्हें नष्ट किया जा रहा है और त्याग, सेवा, परोपकार के मार्ग पर चलने के बजाए हम अपने-अपने स्वार्थों को पूरा करने में लिप्त हो गये हैं।" सोनिया जी ने कहा कि “नई पीढ़ी को अच्छे संस्कार देने की बजाए उन्हें गुमराह किया जा रहा है। समाज का नेतृत्व करने वाले ही यदि पतन के मार्ग पर चलने लगे. तो नई पीढ़ी को कैसा आदर्श मिलेगा?" उन्होंने कहा कि “वास्तविकता यह है कि आज राजनेता जो बातें करते हैं, उसके विपरीत आचरण करते हैं। दुनिया में कोई पैगम्बर या संत ऐसा नहीं हुआ. जिसने कथनी और करनी की समानता पर जोर नहीं दिया हो।" उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि भगवान् महावीर के 2600वें जन्म-कल्याणक वर्ष को सारी दुनिया में मनाया जा रहा है। सोनिया जी ने कहा दुनिया में सुख-शांति की स्थापना करने के लिये हमें हर कीमत देकर भारत की परम्पराओं और विरासत की रक्षा करनी होगी। भारत ने हिंसा में कभी भी विश्वास नहीं किया। हमारा विश्वास दूसरों की जान लेकर जीने में नहीं, वरन् अपनी जान की बाजी लगाकर दूसरों की रक्षा करने में है। वर्तमान हालात में भगवान् महावीर द्वारा बनाये गये मार्ग का अनुसरण करने में ही हम सब का कल्याण है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया था। स्व० इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के मन में भी सदैव जैनदर्शन के प्रति अटूट आदर रहा। देश के इतिहास और संस्कृति में जैनधर्म ने अलग पहचान बनाई है, जिसका पं० नेहरू ने अपने लेखन में विशेषरूप से जिक्र किया है।" राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी ने समारोह की अध्यक्षता करते हये भगवान् महावीर के सिद्धान्तों की समसामयिकता सिद्ध करते हुये जैनसमाज का राष्ट्र की उन्नति और विकास में महनीय योगदान बताया। उन्होंने पूज्य आचार्यश्री से देश को मार्गदर्शन देने की विनती भी की। __समागत अतिथियों और विद्वानों का स्वागत करते हुये श्रीमती सरयू दफ्तरी जी ने नेहरू-गाँधी-परिवार के द्वारा जनसमुदाय के प्रति अपनत्व और योगदानों का विस्तार से उल्लेख करते हुये श्रीमती गाँधी जी एवं अन्य समागत अतिथियों का भावभीना स्वागत किया। तथा सुश्री निर्मलाताई देशपांडे ने पूज्य आचार्यश्री के प्रति विनयांजलि अर्पित करते हुये उन्हें भारतीय संस्कृति का शिखर-पुरुष बताया और कहा कि ऐसे संतों के पावन-सान्निध्य और मार्गदर्शन के कारण ही भारत की सांस्कृतिक-परम्परा इस घोर भौतिकवादी युग में भी सुरक्षित बची हुई है। कुन्दकुन्द भारती न्यास के न्यासी साहू रमेशचन्द्र जी ने पुरस्कारों की गरिमापूर्ण परम्परा Jain ECOLO1Renatzाकतविदा जनवरी-जन'2001 (संयक्तांक) - महावीर-चन्द्रना-तियोषांक,.org

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