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डेंपीयर नगर में नया भवन तैयार होने पर संग्रहालय का स्थानांतरण हो गया व प्राचीन भवन को मूर्तियों के संग्रहण के लिए प्रयोग किया जाने लगा। वर्तमान में प्राचीन भवन में जैन मूर्तिकला, हिंदू मूर्तिकला व बौद्ध मूर्तिकला की लगभग एक हजार मूर्तियाँ संग्रहीत हैं। डेंपीयर नगर स्थित संग्रहालय में मूर्तियों की अपेक्षा जगह का अभाव होने के कारण मूर्तियों का प्रदर्शन काफी कम संख्या में हो पाता है। वर्तमान में संग्रहालय में जैन- कला से संबंधित लगभग एक हजार मूर्तियाँ होने के बावजूद इनके प्रदर्शन के लिए मात्र एक गैलरी निर्धारित है। इसमें भी जैन-कला के साथ कुषाण-काल की मूर्तियाँ भी प्रदर्शित की गई हैं।
जैन-संस्कृति व कला से मथुरा के जुड़ाव व यहाँ की समृद्ध जैन-कलाकृतियों, अभिलेख, आयग-पट्टों को लोगों के प्रदर्शन के लिए उपलब्ध कराने की आवश्यकता कई वर्षों से महसूस की जा रही थी। विगत 6 मार्च को संस्कृति विभाग की लखनऊ में हुई बैठक में प्रस्ताव को स्वीकृति देकर 30 जून तक संग्रहालय आरंभ करने का निर्णय लिया गया।
संग्रहालय के सुचारु-संचालन को प्रस्तावित ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रदेश-संस्कृति-विभाग के सचिव व ट्रस्ट के सचिव राजकीय संग्रहालय मथुरा के निदेशक होंगे। इसमें वरिष्ठ उपाध्यक्ष जिलाधिकारी मथुरा, 4 अन्य उपाध्यक्षों में से एक पर्यटन-विभाग के संयुक्त निदेशक तथा विशेष सलाहकार इंटैक के महानिदेशक होंगे। इनके अलावा ट्रस्ट के एक चेयरमैन. एक प्रो-चेयरमैन. दो संयुक्त सचिव, एक कोषाध्यक्ष. एक प्रचार-सचिव व 8 अन्य न्यासी होंगे। ट्रस्ट के साथ 11 सदस्यीय सलाहकार समिति का प्रारूप भी प्रस्तावित है।
जैन-संग्रहालय के साथ एक शोध-संस्थान भी आरंभ किया जाएगा। राजकीय संग्रहालय के निदेशक जितेंद्र कुमार ने बताया कि शासन-स्तर पर शुरु होने वाले इस पहले जैन-संग्रहालय को आरंभ करने पर लगभग 15 से 16 लाख रुपए व्यय होने का अनुमान हैं। वैसे ललितपुर जिले के देवगढ़ नामक स्थान पर एक छोटा जैन-संग्रहालय वर्तमान में मौजूद है, लेकिन इसका संचालन जैनसमाज द्वारा किया जा रहा है। श्री कुमार ने कहा कि इस संग्रहालय में लखनऊ-संग्रहालय से भी महावीर स्वामी की एक मूर्ति मंगाई जायेगी।
जैन-संग्रहालय आरंभ होने के बाद देशी व विदेशी पर्यटक जैन-कला के विस्तृत रूप का अवलोकन कर सकेंगे। इसके साथ डेंपीयर स्थित संग्रहालय की जैन-गैलरी के स्वरूप को यथावत् रखा जायेगा।
उच्च शिक्षा के लिये छात्रवृत्ति उच्च तकनीकी शिक्षा के लिये रिफन्डेबल (वापसी) तथा स्कूल/कॉलेज शिक्षा के लिये नान-रिफन्डेबल (वापिस न होने वाली) छात्रवृत्तियाँ योग्यता एवं कमजोर आर्थिक स्थित के आधार पर उपलब्ध हैं। आवेदन-प्रपत्र एक लिफाफे (24x10 से०मी०) पर अपना पता व तीन रुपये का डाक टिकट भेजने से प्राप्त है। आवेदन-पत्र हमें मिलने की अंतिम तिथि 15.8.2001 मंत्री (छात्रवृत्ति), जैन सोशल वैलफेयर एसोसिएशन, एफ-83, ग्रीनपार्क (मेन) नई दिल्ली-110016 पर भेजें।।
-पवन कुमार जैन, दिल्ली **
40 138 प्राकृतविद्या जनवरी-जून'2001 (संयुक्तांक) + महावीर-चन्दना-विशेषांक Jain Education International For Private & Personal Use Only
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