Book Title: Prakrit Vidya 01
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 124
________________ नारी सम्मान की प्रतीक 'चन्दना' - कु० ममता जैन श्रमण - संस्कृति में गणिनी आर्यिका चन्दना का नाम अतीव श्रद्धा के साथ लिया जाता है । उनके व्यक्तित्व में एक अपार जिजीविषा का ऐश्वर्य है, शीलव्रत का प्रकाश है; और भक्ति का शौर्य है, यौवन में दारुण दुःखों को सहा; लेकिन वह अपने शीलव्रत से नहीं डिगीं । कल्पना कीजिए यदि भगवान् महावीर के प्रति श्रद्धानवत हो तलघर में से ही बन्दिनी चन्दना 'अत्र अवतरत अवतरत अवतरत तिष्ठत तिष्ठत तिष्ठत नमोऽस्तु - नमोऽस्तुनमोऽस्तु' न पुकारती, तो क्या चन्दना महासती चन्दना' बन सकती थी । विषवृक्षों के बीच चन्दनी सुवास की यह सारी कहानी मानों काल ने ही अपने हाथों से रची थी। अग्नि में कुन्दन बनकर चन्दना दमकी | अपने तप, नियम, व्रत और सहिष्णुता से उन्होंने सेठानी को ही पराभूत नहीं किया; अपनी युगीन नारियों का शीश उन्नत कर उन्हें गौरवास्पद बनाया । आहारदान देकर चन्दना ने भगवान् महावीर के साथ-साथ स्वयं को भी अमर कर लिया । युग बीत गया, लेकिन चन्दना का चरित आज भी प्रासंगिक है । कलियुग में सभी कुछ बदल गया हो, पर चन्दना की आहारदान की कथा आज भी जीवित है । आज भी समाज में तमाम विसंगतियाँ हैं, कदम-कदम पर विद्याधर और सेठानी हैं, लेकिन चन्दना तो चन्दना है, उसी में नारी का सौन्दर्य है और लाज है । भगवान् महावीर भी चन्दना का उद्धार तभी कर सके, जब चन्दना ने बन्धनों की उपेक्षा की अपने अन्तरंग से साक्षात्कार किया; इसीलिए युग की शुभ्र भाषा उस बन्दिनी के दिव्य आलोक की किरणों में स्नात कर जगत् के मर्म - मन्दिर के द्वार खोलकर त्रैलोक्य में नवज्योति और अज्ञान - विभावरी को छिन्न-भिन्न कर नारी - शक्ति की ललित भाषा से काल के सूची-प पर अपने सशक्त हस्ताक्षर अंकित कर सकी। - पत्र दुर्भाग्य की काली छाया वैशाली - नरेश राजा चेटक की पुत्री को विद्याधर के रूप में अपहरण कराकर भी संतुष्ट नहीं हुई । जंगल-जंगल भटकती तड़पती चन्दना ने अश्रुजल से अपने दुष्कर्मों का प्रक्षालन किया। सेठानी का संताप सहती रही, अपमान के घूँट पीकर राजकुमारी दासी बन गई; किन्तु चन्दना ने धैर्य और विवेक का आंचल संभाल कर रखा। मानसिक दैन्य और सांस्कृतिक दारिद्रय प्रकट न कर अपनी आन्तरिक ऊर्जस्विता एवं I-विशेषांकy.org Jain [122matप्राकृतविद्या जनवरी - जून 2001 (संयुक्तांक) महावीर - चन्दना

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