Book Title: Prakrit Vidya 01
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

Previous | Next

Page 126
________________ (पुस्तक-समीक्षा) मूल्य पुस्तक का नाम : मध्यप्रदेश का जैन शिल्प लेखक : नरेश कुमार पाठक प्रकाशक : कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर संस्करण : प्रथम, 2001 ई० . 300/- (शास्त्राकार. पेपरबैक, लगभग 400 पृष्ठ) जैन-संस्कृति की दृष्टि से मध्यप्रदेश अत्यंत समृद्ध प्रांत है। इसमें विभिन्न राजवंशों के द्वारा कई शताब्दियों तक निरन्तर जैन-परम्परा, संस्कृति, शिल्प एवं साहित्य का प्रचर-परिमाण में निर्माण, संवर्द्धन एवं सम्पोषण हआ है। पर्यटन एवं तीर्थाटन के क्रम में लोग आकर आंशिक रूप में से देखते तो हैं. और देखना चाहते भी हैं; किन्तु इसकी कोई व्यवस्थित जानकारी देने वाली प्रामाणिक पुस्तक का अभाव खेदजनक था। यह हर्ष का विषय है कि जिज्ञासु शोधकर्ता श्री नरेश पाठक ने प्रभूत श्रमपूर्वक वर्षों तक समर्पित होकर अध्ययन एवं अनुसंधान करके एक प्रामाणिक कृति का निर्माण किया है। तदर्थ वे भरपूर बधाई एवं साधुवाद के पात्र हैं। इस कृति का प्रकाशन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर के द्वारा हुआ है. अत: वह भी प्रशंसा के योग्य है। जहाँ एक ओर इस कृति के निर्माण में अनुसंधाता का अपार श्रम एवं समर्पण झलकता है, वहीं इसके प्रकाशन में यथासंभव गरिमा रहते हये भी चित्रों के प्रकाशन में अधिक स्पष्ट मुद्रण नहीं हो पाने से कुछ और अधिक सावधानी की अपेक्षा का अनुभव होता है। सम्पादन की दृष्टि से भी जहाँ विद्वद्वर्य डॉ० अनुपम जी की अतिव्यस्तता का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है. वहीं इस महनीय कृति की बाइंडिंग इसके आकार एवं विषय-गरिमा के अनुरूप न हो पाने का अनुभव भी होता है। फिर भी समग्र-रूप से यह कृति समाज के द्वारा तथा संस्कृति एवं पुरातत्त्व के प्रेमियों के द्वारा तो आदरणीय है ही. पर्यटन की रुचि रखनेवालों के लिये भी इसमें कई महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ हैं, जो उनके पर्यटन को अधिक रोचक और ज्ञानवर्धक बना सकेंगी। -----सम्पादक ** Jain EOS 124atiप्राकतविद्या+जनवरी-जन'2001 (संयक्तांक) + महावीर-चन्दना-विशेषांक org

Loading...

Page Navigation
1 ... 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148