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विषय-सूची
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पहला अध्याय
गमों का काल भाषाओं का वर्गीकरण ३-३२ द्वादशांग
४४-१०४ भारतीय आर्यभाषायें ४-१०
आयारंग
सूयगडंग मध्ययुगीन भारतीय आर्यभाषायें ४
ठाणांग प्राकृत और संस्कृत - ५
समवायांग प्राकृत और अपभ्रंश प्राकृत भाषायें १०-१२
वियाहपण्णत्ति
नायाधम्मकहाओ प्राकृत और महाराष्ट्री
उवासगदसाओ प्राकृत भाषाओं के प्रकार १४-३२
अन्तगडदसाओ पालि और अशोक की धर्मलिपियां १४
अणुत्तरोववाइयदसाओ भारतेतर प्राकृत
पण्हवागरणाई अर्धमागधी
विवागसुय शौरसेनी
दिठिवाय महाराष्ट्री
द्वादश उपांग
१०४-२२ पैशाची
उववाइय
१०४ मागधी
रायपसेणइय
१०७ जीवांजीवाभिगम दूसरा अध्याय
पन्नवणा जैन आगम-साहित्य (ईसवी सन् सरियपन्नत्ति
११४ के पूर्व ५वीं शताब्दी से | जम्बुद्दीवपन्नत्ति
११५ ईसवी सन् की ५वीं शताब्दी |
चन्दपन्नत्ति
११७ तक)
३३-१६२ निरयावलिया अथवा कप्पिया। ११८ जैन आगम
कप्पवडंसिया तीन वाचनायें
पुफिया
१२१ आगमों की भाषा
पुप्फचूला
१२२ आगों का महत्त्व | वण्हिदसा
१२२
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१२१