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न हो इसके नियम सिद्ध समझकर । उनु, उसने अपनी और काई
प्राचीन तिब्बत न हो इसमें कोई भेद अवश्य है। साधारण सदाचार और शिष्टाचार के नियम सिद्ध पुरुषों के बारे में नहीं लागू हो सकते। वे जो कुछ करते हैं, सोच-समझकर। उनकी बातों का समझना हर एक व्यक्ति का काम नहीं है। अस्तु, उसने अपनी लड़की से कहा-"बेटी, जिस महान पुरुष को तुमने देखा है वे और कोई नहीं, स्वयं डुम्पा कोलेंग्स हैं। वे जो कुछ करेंगे, भला ही करेंगे। तुम उल्टे पाँव वापस लौटो। उनसे क्षमा माँगना और वे जो कुछ आज्ञा दें उसका पालन करना ।" ___लड़की लौटी। उसने एक पत्थर पर डबटोब को चुपचाप विचारमग्न बैठे देखा। उस पर दृष्टि पड़ते ही डुग्पा हँस पड़ा
और बोला-"बेटी, स्त्रियों को देखकर मेरे मन में कोई विकार उत्पन्न नहीं होता। बात यह थी कि समीप के विहार के बड़े लामा का देहावसान हो गया है। मुझे उनकी आत्मा बार्डो में भटकती हुई दिखलाई पड़ी थी और मैंने चाहा कि किसी प्रकार उनका जन्म फिर मनुष्य-योनि में हो जाय। मैंने प्रयत्न किया, लेकिन होनहार बलवान है। कर्मों का फल कौन मेट सकता है ? तुम भाग खड़ी हुई और तुम्हारे जाने के बाद ही पास के खेतों में चरता हुआ गधों का वह जोड़ा मिल गया। मैंने अपनी आँखों से देखा है; और शीघ्र ही मठ के प्रधान लामा को गधे की योनि में जन्म लेकर फिर इस संसार में आना पड़ेगा।
xxx लिखते-लिखते मेरी डायरी एक दिन भर गई। मैंने उस उलट-पलटकर देखा तो मालूम हुआ कि सिक्कम पहुँचने के बाद काफी काम हुआ है। मैंने सोचा, थोड़ा विश्राम कर लेना ठीक होगा। मुझे कम्पा-द-जोङ् और शिगाल्जे की सैर की सूझी। इसी बीच में सुनाई पड़ा कि चीनी लोगों की हार हो गई है और
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