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प्राचीन तिब्बत ३. तोग्स :-परम ज्ञान ।
विद्याध्ययन करने के लिए शिष्यों को अपने आपको किसी निर्जन स्थान में बन्द कर लेना होता है। गुरु लामा अक्सर उसे 'साम' कोठरियों में बन्द होकर अभ्यास करने का आदेश देता है।
'साम्' शब्द का अर्थ होता है 'सीमा, किसी देश की सरहद' । धार्मिक शब्द-कोष में साम में रहने का तात्पर्य है एकान्तवास, एक हद के भीतर चले जाना और फिर उसके बाहर पैर नहीं रखना। ___ यह हद कई प्रकार की होती है। बहुत आगे बढ़े हुए आध्यात्मिक लामा अपने लिए किसी प्रकार को स्थूल सीमा की श्राव. श्यकता नहीं समझते। ध्यानस्थ होने के पूर्व ही अपने आपको एक काल्पनिक हद के भीतर रखकर शेष वस्तु आकार रखनेवाले पदार्थों से वे अपने आपको अलग कर लेते हैं। ___'साम' अनेक प्रकार के होते हैं। इनमें से कुछ कम कठिन होते हैं और कुछ थोड़े और कड़े। सहल तरीकों में से एक यह भी है कि कोई गृहस्थ अपने निजी कमरे में ही बन्द हो जाता है। वह या तो बाहर निकलता ही नहीं और अगर निकलता भी है तो इसके लिए वह कुछ समय नियत कर लेता है। उसका यह बाहर निकलना भी किसी धार्मिक उद्देश्य से ही होता है जैसे प्राचीन देवस्थानों की परिक्रमा करना या कुछ मूर्तियों के आगे दण्ड-प्रणाम करने आदि के लिए। ___ अपने नियम के अनुसार साम्सपा* लोकहित के लिए बाहर निकल सकता है या विपरीत दशा में उनकी आँख बचाकर रहता है। पहले कायदे के मुताबिक वह अपने घर के लोगों से, रिश्तेदारों और नौकरों से कभी-कभी बोल लेता है। जब तब दो-एक
* साम में रहनेवाला। याद रहे 'साम्सपा' और शब्द है और सामा और।
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