Book Title: Prachin Tibbat
Author(s): Ramkrushna Sinha
Publisher: Indian Press Ltd

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Page 164
________________ १६४ प्राचीन तिब्बत इस बात का कोई अनुभव नहीं होता कि उसकी चेष्टा किसी अलौकिक घटना के घटित होने में किसी प्रकार सहायक हो रही है । मानी हुई बात है कि इसमें वह किसी सोचे हुए परिणाम को लक्ष्य में रखकर कार्य नहीं करता । ( २ ) वे घटनाएँ जो जान-बूझकर प्रभावित की जाती हैं और जिनका मतलब किसी निश्चित उद्देश्य को पूत्तिं करना होता है। ये घटनाएँ प्रायः - हमेशा नहीं - एक हो व्यक्ति द्वारा प्रभावित की जाती हैं। मानसिक प्रवृत्तियों और इच्छाशक्ति के द्वारा किसी घटना को घटित करने का गुरुमन्त्र है - अपने मन को एकाग्र करके समस्त चेतन शक्तियों को एक ओर लगा देना | आध्यात्मिक लामाओ का कहना है कि चित्त को एकाग्र कर लेने पर एक प्रकार की शक्ति उत्पन्न करनेवाली "लहरें" पैदा होती हैं, जिनका उपयोग भिन्न-भिन्न रूपों में किया जा सकता है। यह शक्ति ( जिसके लिए तिब्बती लोगों का अपना शब्द "शग्स" या "साल" है ) जब-जब कोई मानसिक या शारीरिक क्रिया घटित होती है, उत्पन्न होती है । और यह शक्ति जितनी अधिक होती है, जिस ओर संचालित की जाती है उसी प्रकार की अलौकिक घटना लोगों के देखने में आती है। १ - यह शक्ति किसी वस्तु में भर दी जाती है और जो व्यक्ति इन वस्तुओं को छू लेता है उसमें उसी प्रकार की शक्तिवीरता, साहस, उत्साह आदि - भर उठती है । लामा लोग भाँतिभाँति की गोलियाँ, तावीज़ और यन्त्र इसी सिद्धान्त के आधार पर बनाते हैं और जो इन्हें अपने पास रखते हैं उनका विश्वास होता है कि वे और आसानी से सफलता, स्वास्थ्य, सिद्धि आदि प्राप्त कर सकते हैं तथा डाकुओं, भूतों और दुर्घटनाओं को दूर रखने में समर्थ होते हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, watumaragyanbhandar.com

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