Book Title: Prachin Tibbat
Author(s): Ramkrushna Sinha
Publisher: Indian Press Ltd

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Page 170
________________ १७० प्राचीन तिब्बत और इस तरह की कहानियों को सची समझकर उनमें विश्वास कर लेना उन लोगों के लिए कोई बड़ी बात नहीं है जो हमारे इस संसार को भी एक प्रकार का मिथ्या भ्रम ही मानते हैं। ___ अदृश्य हो सकने की क्षमता रखनेवाले योगियों का उल्लेख सभी देशों के कित्सा और कहानियों में मिलता है। इस विषय में भी तिब्बत-वासियों को अपनी निजी धारणा है। इसकी वजह वे बतलाते हैं-मस्तिष्क की समप्र क्रियाशीलता का एकदम बन्द हो जाना-ठहर जाना। इस धारणा के अनुसार अपने आपको लोगों की दृष्टि से छिपा लेने का सवाल नहीं होता, बल्कि लोगों की ही नजर में कुछ अन्तर ला देना होता है। कोशिश इस बात को की जाती है कि अपने आसपास के लोगों के मस्तिष्क में अपने बारे में किसी किस्म के विचारों को 'लहर' न उठने पावे। इस तरकीब से लोगों को इस बात का अनुभव नहीं होता कि कोई उनके सामने से या पास से होकर निकल रहा है। और अगर थोड़ा-बहुत इस बात का अनुभव होता भी है तो वह बहुत कम-इतना कम कि कोई उसकी ओर देखने की परवा भी नहीं करता। इसी बात को एक उदाहरण से समझिए। जब कोई व्यक्ति चलते समय बहुत जोर का शब्द करते हुए चलता है, लोगों को धक्के देते हुए, चीजों को ठुकराते हुए या और किसी प्रकार की चेष्टा करता हुआ चलता है तो वह बहुत से लोगों के मस्तिष्क में बहुत प्रकार के इन्द्रिय-जनित 'बेध' पैदा करता चलता है। अगर कोई चुपचाप बगैर किसो को छुए हुए, बिना कोई शब्द पैदा किये हुए, अपने रास्ते पर चला जाय तो वह बहुत कम लोगों के ता * इसके लिए तिब्बती शब्द है तोम्पा'। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, lowwafumaragyanbhandar.com

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