Book Title: Prachin Tibbat
Author(s): Ramkrushna Sinha
Publisher: Indian Press Ltd

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Page 138
________________ १३८ प्राचीन तिब्बत शक्ति इन जिन्दों की ताक़त से कहीं कम होती है और जो काम वे इन्हें अपना गुलाम बनाकर करवा सकते हैं उसे अकेले बिना इनकी मदद के लाख सर मारने पर भी, नहीं कर सकते 1 , दूसरी श्रेणी में केवल थोड़े से चतुर अनुभवी आते हैं। ये भी कभी-कभी उन्हीं तरीक़ों से काम लेते हैं जिनका उनसे कम होशियार पहली श्रेणी के जादूगर प्रयोग करते हैं । पर जिस उद्देश्य से ये ऐसा करते हैं वह बिल्कुल दूसरा ही होता है । पहली श्रेणी के जादूगरों की तरह ये बहुत सी प्राकृतिक कौतूहलमयी घटनाओं को केवल 'करामात' ही नहीं समझते, प्रत्युत उनका विश्वास है कि इनकी वजह खुद जादूगरों में उत्पन्न होनेवाली एक शक्तिविशेष है जो उसके वास्तु शास्त्र के वास्तविक ज्ञान पर बहुत कुछ निर्भर रहती है। ये दूसरे प्रकार के जादूगर बहुधा पहुँचे हुए फकीरों की भाँति लेोक-दृष्टि से छिपे ही रहते हैं । जहाँ तक हो सकता है वे अपने को अज्ञात वास में ही रखना पसन्द करते हैं। उन्हें नाम की भूख नहीं होती और वे कभी-कभी ही अपनी शक्तियों का उपयोग करते हैं। हाँ, पहले प्रकार के जादूगर तरह तरह के विस्मयपूर्ण चमत्कार दिखाकर लोगों को आश्चर्य से भर देना ही एक बड़ा भारी काम समझते हैं। छोटे से छोटे भीख माँगते हुए मदारियों से लेकर बड़े से बड़े धनवान् गृहस्थों तक में इस प्रकार के बहुत से जादूगर, करामाती भविष्यवक्ता, मायावी ढूँढ़ने पर पाये जा सकते हैं। ऊपर मैं बता चुकी हूँ कि अनेक उत्साही नवयुवक योग्य गुरु के पाने के लिए कैसे-कैसे साहसिक कार्य करते हैं । और इस उद्देश्य की सिद्धि के लिए बड़ी से बड़ी कठिनताओं का हँसते-हँसते सामना कर लेते हैं। सचमुच उपयुक्त गुरु बड़े भाग्य से ही मिलता है। इसके खोजने में काफी सावधानी से काम लेना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, watumaragyanbhandar.com

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