________________
१४२
प्राचीन तिब्बत उस हालत में जब कि साम्सपा किसी के सामने नहीं होताभोजन करने के समय वह एक दूसरे कमरे में चला जाता है और तब नौकर खाना लाकर उसके कमरे में रख देता है। अगर त्साम्सपा के व्यवहार में एक ही कमरा हुआ तो नौकर चौखट के पास लाकर भोजन का थाल रख देता है और दरवाज़ पर खट् खट का शब्द करता है। आसपास के लोग बग़ल के कमरों में चले जाते हैं और साम्सपा किवाड़ खोलकर थाली अन्दर कर लेता है। कोई भी जरूरी चीज़ उसे इसी तरीके पर मिल सकती है और इसी ढङ्ग से वह चीजों को लौटा भी देता है। दरवाज़ का कुण्डा खटखटाने से या एक घण्टी बजाने से लोग उसी तरह अपने-अपने कमरों में चले जाते हैं। और दो-एक मिनट के लिए साम्सपा फिर अपने साम के भीतर घुस जाता है।
इस तरह के साम में रहनेवालों में से कुछ तो अपनी आवश्यकताओं को कागज पर लिखकर बता देते हैं, लेकिन कुछ इस सुभोते से भी फायदा नहीं उठाते। मानो हुई बात है कि उन्हें अपनी आवश्यकताओं को एकदम ही कम कर देना पड़ता है। यहाँ तक कि अगर उन्हें खाना पहुँचानेवाला भी अपना काम किसो दिन भूल जाय तो वे मौनव्रत और उपवास दोनों पुण्य- . कर्मों का फल एक साथ ही उपार्जन कर लेते हैं।
श्राम तौर पर इस तरह का अपने घर ही में सीमा के भीतर रहना' बहुत कम दिनों तक रहता है। अधिक से अधिक एक साल तक इसका अवधि होती है। प्रायः तीन माह, एक माह, एक सप्ताह या कभी-कभी कुछ दिनों में ही गृहस्थ त्साम्सपा अपने एकान्तवास को तोड़ देते हैं। ___स्पष्ट है कि अधिक समय का और कड़ा एकान्तवास अपने घर की साधारण कोठरियों में होना असंभव है। वहाँ चाहे
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, kurnatumaragyanbhandar.com